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बारां में प्रदेश के सबसे ज्यादा 12 वैटलेंड, हर साल देश-विदेश से आते हैं 270 प्रजाति के पक्षी

हर साल जिले के जलाशयों में सर्दी शुरू होने के साथ ही देश-विदेश से प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। राज्य सरकार ने जिले में करीब 12 वैटलैंड (आद्र्रभूमियों) को अधिसूचित किया है। इनमें इकलेरा सागर, कोटरापार तालाब, बैथली डेम, ङ्क्षहगलोट डेम, उतावाली डेम, सहरोल तालाब, गरड़ा तालाब, नियाना तलाई, नाहरगढ़, तेजाजी की तलाई, पुष्कर तालाब एवं ल्हासी डेम शामिल हैं। बारां जिले से सबसे अधिक 12 वैटलैंड को अधिसूचित किए गए हैं। जिले के अंता उपखंड स्थित सोरसन अभयारण्य के अमलसरा तालाब का नाम इनमें सबसे ऊपर है। यहां पर पूरी सर्दियों के दौरान कई तरह के प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं।

बारांMay 11, 2024 / 01:16 pm

mukesh gour

हर साल जिले के जलाशयों में सर्दी शुरू होने के साथ ही देश-विदेश से प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। राज्य सरकार ने जिले में करीब 12 वैटलैंड (आद्र्रभूमियों) को अधिसूचित किया है। इनमें इकलेरा सागर, कोटरापार तालाब, बैथली डेम, ङ्क्षहगलोट डेम, उतावाली डेम, सहरोल तालाब, गरड़ा तालाब, नियाना तलाई, नाहरगढ़, तेजाजी की तलाई, पुष्कर तालाब एवं ल्हासी डेम शामिल हैं। बारां जिले से सबसे अधिक 12 वैटलैंड को अधिसूचित किए गए हैं। जिले के अंता उपखंड स्थित सोरसन अभयारण्य के अमलसरा तालाब का नाम इनमें सबसे ऊपर है। यहां पर पूरी सर्दियों के दौरान कई तरह के प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं।

हर साल जिले के जलाशयों में सर्दी शुरू होने के साथ ही देश-विदेश से प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। राज्य सरकार ने जिले में करीब 12 वैटलैंड (आद्र्रभूमियों) को अधिसूचित किया है। इनमें इकलेरा सागर, कोटरापार तालाब, बैथली डेम, ङ्क्षहगलोट डेम, उतावाली डेम, सहरोल तालाब, गरड़ा तालाब, नियाना तलाई, नाहरगढ़, तेजाजी की तलाई, पुष्कर तालाब एवं ल्हासी डेम शामिल हैं। बारां जिले से सबसे अधिक 12 वैटलैंड को अधिसूचित किए गए हैं। जिले के अंता उपखंड स्थित सोरसन अभयारण्य के अमलसरा तालाब का नाम इनमें सबसे ऊपर है। यहां पर पूरी सर्दियों के दौरान कई तरह के प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं।

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बारां.
हर साल जिले के जलाशयों में सर्दी शुरू होने के साथ ही देश-विदेश से प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। राज्य सरकार ने जिले में करीब 12 वैटलैंड (आद्र्रभूमियों) को अधिसूचित किया है। इनमें इकलेरा सागर, कोटरापार तालाब, बैथली डेम, ङ्क्षहगलोट डेम, उतावाली डेम, सहरोल तालाब, गरड़ा तालाब, नियाना तलाई, नाहरगढ़, तेजाजी की तलाई, पुष्कर तालाब एवं ल्हासी डेम शामिल हैं। बारां जिले से सबसे अधिक 12 वैटलैंड को अधिसूचित किए गए हैं। जिले के अंता उपखंड स्थित सोरसन अभयारण्य के अमलसरा तालाब का नाम इनमें सबसे ऊपर है। यहां पर पूरी सर्दियों के दौरान कई तरह के प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। वे यहां नेङ्क्षस्टग करके अपने चूजों को पालपोस कर बड़ा कर के मार्च तक अपने देश लौट जाते हैं। प्रवासी पक्षियों का यहां 6 महीने तक ठहराव होता है। भोजन की प्रचुरता और प्रजनन के लिए आदर्श स्थिति होने से प्रवासी पक्षियों का पिछले आठ साल से यहां पहुंचना जारी है। प्रवासी पक्षियों पर युवा शोध भी कर रहे हैं। हर साल पक्षियों के ठहराव की संख्या में इजाफा हो रहा है।
यहां जमाते हैं डेरा

डीएफओ अनिल यादव ने बताया कि विजयपुर तालाब, सोरसन तालाब, बिलासी डैम, बेथली डैम, ङ्क्षहगलोट डैम, किशनपुरा, गोपालपुरा, गरड़ा, इकलेरा सागर, कन्यादह आदि स्थानों पर प्रवासी पक्षियों का ठहराव होता है। तालाबों के अलावा छोटी तलाइयों में भी इन्हें देखा जाता है। प्रवासी पक्षी यहां फरवरी-मार्च तक रुकते हैं।
कई प्रजातियों के पक्षी पहुंचते हैं यहां

जिले के प्रमुख जलाशयों में प्रवासी तथा अप्रवासी पक्षियों की लगभग 270 प्रजाति की पक्षी प्रजातियां दिखाई देती हैं। इनमें प्रवासी पक्षी प्रजातियां बारहेडेड गीज, ग्रेलेग गीज, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, फेरुजिनस पोचार्ड, गडवाल, यूरेशियन यूजियोन, नॉर्थर्न पिनटेल, नॉर्थर्न सावलर, कॉमन टील, कॉटन टील, ब्लैक टेल्ड गोडविट, रिवर टर्न, लिटिल ग्रीब, रूडी शेलडक, कॉमन कूट, पेंटेड स्टार्क, जलमुर्गी आदि शामिल हैं।
अनदेखी के चलते तालाब हैं बदहाल : प्रवासी पक्षियों को नहीं मिल रहा बसने का माहौल

जिले के जलाशयों में हर साल देश-विदेश से प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. इसको लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से जलाशय सिकुड़ते जा रहे हैं। पर्यटन के लिहाज से मौके पर सुविधाओं का इंतजाम नहीं है। प्रवासी पक्षियों के ठहराव वाले वेटलैंड के संरक्षण का इंतजाम और सुविधाओं का विकास हो, तो जिले का पर्यटन में बड़ा योगदान होगा। जिले में छबड़ा, अंता, अटरू, शाहबाद, किशनगंज, मांगरोल, छीपाबडौद, बारां के वैटलैंड्स में देश-विदेश से पक्षी पहुंचते हैं। पक्षियों के ठहराव, प्रजनन के लिए यहां पर अनुकूल परिस्थितियां हैं। पक्षियों के सुव्यस्थित इंतजाम न होने के कारण कई पक्षी दम तोड़ देते हैं। अवैध शिकार की भी समस्या रहती है। जिले में 50 से भी ज्यादा घोषित-अघोषित वैटलैंड हैं। जिले के 58 वैटलैंड में 2014 में 202 प्रजातियों के पक्षी देखे गए हैं. साल 2021 में जिले में लगभग 270 प्रजातियों के पक्षी देखे गए हैं। इनमें अप्रवासी, प्रवासी और स्थानीय प्रवासी पक्षी प्रजातियां सम्मिलित हैंं।

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