जनवरी में सर्वाधिक
कृषि उपज मंडी में खुले बाजार में धान के भाव जनवरी के प्रथम सप्ताह में करीब 45 सौ रुपए प्रति क्विंटल तक का भाव पर पहुंचकर 42 सौ रुपये प्रति क्विंटल पर आ पहुंचे हैं। सोमवार को मंडी में धान के 3450 रुपये से 4250 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे। हालांकि इन दिनों मंडी में 5 से 7 हजार क्विंटल धान की ही आवक हो रही है।
रकबे में बढ़ोत्तरी होगी
जिलें में 2022-2023 में 30 हजार हैक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी। जो वर्ष 2021-2022 की तुलना में करीब 8 हजार हैक्टेयर अधिक थी। वहीं वर्ष 2023-2024 में रकबा और बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है। बारां मंडी में भी वर्ष 2022 में करीब 15 लाख क्विंटल से अधिक की आवक हुई। हालांकि अच्छे भावों के चलते मंडी में मध्यप्रदेश के निकटवर्ती क्षेत्रों से धान की काफी आवक हुई है।
मंडी में नई सरसों के दो हजार कट्टे पहुंचे, भाव में कमी से किसान मायूस
कम है न्यूनतम मूल्य
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा धान उत्पादक राज्य है। यहां पर धान की खेती काफी अच्छी मात्रा में की जाती है। इस बार पूरे यूपी में लगभग 60 लाख हैक्टेयर में धान की फसल की बुवाई हुई थी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 के लिए सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1 हजार 940 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। भारत के सुगंधित बासमती और गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर में 7.37 प्रतिशत बढ़कर 126.97 लाख टन हो गया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती की मांग बढ़ी हुई है। बासमती निर्यात में अपने परंपरागत प्रतिस्पर्धी पाकिस्तान में बासमती धान की फसल खराब हुई है।
इससे इस वजह से भारतीय चावल की डिमांड बढ़ गई है। इसका असर घरेलू बाजार में दिखा। महीनेभर में यह 15 से 20 फीसदी तक महंगा हो चुका है। खुदरा बाजार में चावल 110 से 120 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है। बासमती को मुख्य रूप से अमेरिका, यूरोप और सऊदी अरब के बाजारों में भेजा गया। जबकि गैर बासमती का निर्यात बड़े पैमाने पर अफ्रीकी देशों को किया जाता है। सितंबर में घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद भी गैरबासमती चावल का निर्यात प्रभावित नहीं हुआ है।