मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की खंडपीठ ने मंड्या जिले के नागमंगला में स्थित प्राचीन स्मारक सौम्यकेशव मंदिर के निषिद्ध और विनियमित क्षेत्रों में अवैध इमारतों के मुद्दे पर साल 2016 में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से ये टिप्पणियां कीं।
पीठ ने कहा, 1990 के दशक में कर्नाटक पर्यटन में नंबर एक था और अब शायद मध्य प्रदेश शीर्ष स्थान पर है। इसमें कहा गया है कि हम्पी को बेहतर पर्यटन सुविधाओं की आवश्यकता है क्योंकि मौजूदा सुविधाएं पर्यटकों के लिए पर्याप्त नहीं हैं और सरकार को इस मुद्दे के समाधान के लिए कुछ करना होगा। बैंच ने सुझाव दिया कि सरकार विश्व धरोहर स्थलों से जुड़े मानदंडों का पालन करके बेहतर सुविधाएं बनाने के लिए हमेशा विशेषज्ञों से परामर्श ले सकती है।
बैंच ने कहा कि राज्य सरकार पर्यटन के क्षेत्र की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपना सकती है क्योंकि कर्नाटक में बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यदि ऐसे स्थानों पर पर्यटकों के लिए उचित सुविधाएं प्रदान की जाएं तो पर्यटन स्थल अच्छा राजस्व उत्पन्न कर सकते हैं।
नोटिस जारी करने का निर्देश इस बीच, पीठ ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौम्य केशव मंदिर के आसपास मौजूद 1,566 इमारतों के मालिकों और रहवासियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। यह सत्यापित करने के लिए एएसआई ने सर्वेक्षण कराया था कि क्या इमारतों को नियमोंं का उल्लंघन कर अवैध रूप से बनाया गया था। पिछली सुनवाई के दौरान, बैंच ने मंदिर के आसपास निर्माणों के सर्वेक्षण में मंड्या जिला प्रशासन और एएसआई द्वारा कार्रवाई की धीमी गति और 2020 में अदालत द्वारा इस संबंध में जारी निर्देश के बावजूद आगे की कार्रवाई शुरू करने पर नाराजगी व्यक्त की थी।