समिति ने अपनी भारीभकम रिपोर्ट में कहा कि पालिका के पुनर्गठन के लिए उसका विभाजन किया जाना आवश्यक है। हालांकि, १० दिन पहले ही उपमुख्यमंत्री और बेंगलूरु विकास मंत्री डॉ जी परमेश्वर ने कहा था कि सरकार पालिका को केक के टुकड़ों की तरह बांटने के पक्ष में नहीं है। समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि पालिकां को पांच निगमों में विभाजित करने का उसका सुझाव स्थानीय निकाय को बांटने के बजाय उसका पुनर्गठन करने से है।
समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्य सचिव बी एस पाटिल ने कहा कि हम यह बिल्कुल साफ कर देना चाहते हैं कि हम बेंगलूरु के विभाजन का सुझाव नहीं दे रहे हैं बल्कि हम तीन स्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था और विकेंद्रीकरण के जरिए हम शहर और उसकी ढांचागत सुविधाओं की रक्षा करना चाहते हैं।
इस समिति का गठन पिछली सिद्धरामय्या सरकार ने विधानमंडल के दोनों सदनों से हंगामे के बीच बेंगलूरु को तीन निगमों में बांटे जाने का प्रस्ताव पारित होने और उसे राज्यपाल के राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजने के बाद किया था। समिति का कार्यकाल ३० जून को समाप्त होना था। समिति ने गुरुवार को मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और उपमुख्यमंत्री परमेश्वर को रिपोर्ट सौंपी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में तर्क दिया है। समिति ने कहा कि मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था में ७१२ वर्ग किमी क्षेत्रफल और एक करोड़ से अधिक की आबादी के लिए एकल निगम को व्यवहारिक नहीं माना जा सकता है। अगले कुछ सालों में आबादी २ करोड़ हो जाएगी। समिति के सदस्य वी रविचंदर ने कहा कि हमने चार साल के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। समिति के सदस्य और पूर्व पालिका आयुक्त सिद्धय्या ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए स्थानीय निकाय के पुनर्गठन करने की सिफारिश की गई है।
मुख्य सिफारिश
तीन स्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था
वार्ड समितियों का गठन और उसे अधिकार संपन्न बनाना। समानुपातिक प्रतिनिधित्व
समिति ने एक के बजाय शहर को पांच निगमों में बांटने और हर के लिए अलग-अलग महापौर बनाने का सुझाव दिया
सभी निगमों को मिलाकर ग्रेटर बेंगलूरु प्राधिकरण बनाया जाए
प्राधिकरण का नेतृत्व पहले पांच साल तक मुख्यमंत्री के पास रहे और बाद में महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव हो
शहर से जुड़े सभी स्थानीय भी प्राधिकरण के अधीन हों
बेंगलूरु महानगरीय योजना समिति का पुनर्गठन बेंगलूरु महानगर क्षेत्र समिति के तौर पर हो
सभी निगमों और प्राधिकरण के महापौर ही प्रशासनिक प्रमुख होंगे। मौजूदा व्यवस्था के विपरीत आयुक्तसिर्फ प्रशासनिक कामकाज में महापौर की मदद करेंगे
लंदन मॉडल का अध्ययन करेगी सरकार
समिति की रिपोर्ट पर फैसला लेने से पहले सरकार ने लंदन के शहरी क्षेत्र स्थानीय निकाय मॉडल का अध्ययन करने का निर्णय लिया है। लंदन में ३२ नगरीय क्षेत्र हैं जो बेंगलूरु के स्थानीय निकाय के समान हैं।
इन सभी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग महापौर होते हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र यानी ग्रेटर लंदन के लिए अलग से महापौर का चुने जाते हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में लंदन के तर्ज पर ही तीन स्तरीय व्यवस्था का सुझाव बेंगलूरु के लिए भी दिया है। इसमें वार्ड स्तरीय समितियों के ज्यादा मजबूत बनाने, शहर के पांच निगमों में बांटने और सभी निगमों को मिलाकर ग्रेटर बेंगलूरु प्राधिकरण बनाने का सुझाव दिया है। प्राधिकरण के महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर कराने और परिषद बनाने का सुझाव भी दिया गया है। वार्ड समितियों मेें पार्षद के अलावा रहवासी संघों के प्रतिनिधियों व विशेषज्ञों को शामिल करने का सुझाव दिया गया है।
निगमों के लिए वार्ड पार्षदों के साथ ही महापौर भी होंगे। तीसरे और ऊपरी चरण में प्राधिकरण होगा। महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव होने के बावजूद इसमें ४० सदस्यीय परिषद होगी जिसमें बेंगलूरु विकास मंत्री, शहर के विधायकों को शामिल किया जाएगा। साथ ही सभी पांच निगमों और अन्य नागरिक एजेंसियों-बेंगलूरु विकास प्राधिकरण, बेंगलूरु जल आपूर्ति व मल निकासी बोर्ड, बेंगलूरु महानगर परिवहन निगम, बेंगलूरु मेट्रो रेल निगम बेंगलूरु बिजली आपूर्ति कंपनी, यातायात पुलिस आदि के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। समिति ने इन सुझावों को लागू करने के लिए ग्रेटर बेंगलूरु गर्वनेंस विधेयक बनाने और इन स्थानीय निकायों में काम करने वाले अधिकारियों के लिए अलग कैडर बनाने का सुझाव भी दिया है।
१९८ नहीं, ४०० वार्ड हों
समिति ने पुनर्गठन योजना के तहत मौजूदा वार्डों की संख्या १९८ से बढ़ाकर ४०० कराने का सुझाव दिया है। हालांकि, राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि पिछले कार्यकाल के दौरान वर्ष २००७ में बेंलगूरु महानगर पालिका को बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका में बदलने के साथ ही आस-पास के इलाकों को भी शहरी क्षेत्र में शामिल करने वाले मुख्यमंत्री कुमारस्वामी नाडप्रभु कैंपेगौड़ा के बसाए शहर को पांच हिस्सों में बांटने के प्रस्ताव को हरी झंडी देंगे। सूत्रों का कहना है कि कुमारस्वामी शायद ही इस प्रस्ताव को हरी झंडी दें। पालिका का विस्तार करनेे पीछे शहर से सटे इलाकों के स्थानीय निकायों के सही तरीके से कामकाज नहीं करने का ही तर्क दिया गया था।
हालांकि, समिति के सदस्यों ने गुरुवार को हुई बैठक में तर्क दिया कि एक दशक पहले तक शहर की समस्याओं के लिए पालिका समाधान था लेकिन आज की स्थिति में कई विकेंद्रिकृत निगमों के साथ प्राधिकरण ही हल हो सकता है। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि सरकार समिति की रिपोर्ट का विस्तृत अध्ययन करेगी और उसके बाद ही इसे लागू करने को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, कुमारस्वामी ने अध्ययन के लिए कोई समय सीमा या अध्ययन के स्वरुप के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। बताया जाता है कि बैठक में परमेश्वर ने कहा कि फैसला लेने से पहले लंदन के मॉडल का अध्ययन किया जाना चाहिए।