लेकिन एक चिकित्सक ऐसी भी हैं जो इनकी हर संभव मांग पूरी करती हैं। कई बार तो अपने पैसों से। विक्टोरिया ट्रॉमा एंड इमरजेंसी केयर केंद्र की नोडल अधिकारी डॉ. असीमा बानू (Dr. Asima Banu) कोरोना संक्रमित बाल मरीजों के लिए सांता क्लॉस (Santa Claus) से कम नहीं हैं।
डॉ. बानू ने पत्रिका को बताया कि अस्पताल में किसी भी दिन 15-20 बाल मरीज होते हैं। इन बच्चों का उपचार उनके लिए चुनौती के साथ नया तजुर्बा भी है। उपचार के साथ मरीजों की वे लगभग हर चाहत पूरी करती हैं। कुछ बच्चे जब विशेष भोजन की मांग करते हैं तो कई बार वे बाजार से मंगाती हैं तो कई बार अपने घर से खुद बना कर ले आती हैं। इनके अनुसार बच्चों को अस्पताल में खुश, संतुष्ट और शांत रखना जरूरी है। बच्चों से उन्हें बहुत प्यार है।
उन्होंने बताया कि कई मरीज अस्पताल यूनिफॉर्म नहीं पहनना चाहते हैं। ऐसे में कई बार वे अपने घर या परिजनों से कपड़े तक ले आती हैं। ज्यादातर बच्चे नई चप्पल की मांग करते हैं। जिसका कारण वे अब तक नहीं समझ सकी हैं। कई बार उन्होंने बच्चों को चप्पल ला कर दी है और इस काम में उनके बेटे ने काफी मदद की है। कई बच्चे गेम्स, चॉकलेट और केक (Games, chocolate, cake) की जिद भी करते हैं। कई बच्चों से तो वे मिली तक नहीं हैं क्योंकि वार्ड के अंदर ज्यादातर अग्रिम मोर्चे पर तैनात चिकित्सक और नर्स होते हैं। हालांकि उन्होंने मरीजों के लिए एक वाट्सऐप गु्रप बना रखा है। जिसे जो चाहिए होता है उन तक संदेश पहुंच जाता है।
डॉ. बानू बताती हैं कि खुशी इस बात की है कि बच्चे पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर लौटते हैं। दो से चार माह तक के शिशु भी भर्ती हुए हैं। बच्चों के अभिभावक उनके साथ नहीं होते हैं तो ज्यादा दिक्कत होती है। बच्चों के लिए वे विभिन्न खेलों का आयोजन भी करती हैं। कई बच्चे पेंटिंग, लूडो, कैरमबोर्ड और स्टोरी बुक्स (Painting, Ludo, Carrom Board, Story Books) में खुद को व्यस्त रखते हैं। उम्र के हिसाब से इनकी मांगें होती हैं। कुई बच्चे कपड़े के मास्क की मांग करते हैं।
एक घटना को याद करते हुए डॉ. बानू ने बताया कि एक ही परिवार के आठ और 10 वर्ष के दो बच्चे भर्ती थे और ईद की रात दोनों किसी बात पर एक दूसरे से झगड़ा कर सो गए थे। कोरोना निगेटिव होने के कारण माता-पिता घर पर थे। बाद में माता-पिता से फोन पर बात कराने से बच्चों की मायूसी खत्म हुई। भर्ती बच्चे और मरीज परिवार की तरह हो जाते हैं। कई बच्चों का ख्याल अन्य मरीज भी रखते हैं।