उद्घाटन मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को करना था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से वे नहीं पहुंचे सके, मगर लोगों के उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं हुई। महापौर आर. सम्पतराज के आतिथ्य में तथा परिषद के अध्यक्ष डॉ. बीएल शंकर, उपाध्यक्ष टी प्रभाकर व अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में शुभारंभ हुआ। चित्रकला परिषद परिसर और बाहर कुमार कृपा रोड पर कर्नाटक, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, केरल, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पंजाब, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से आए कलाकारों ने क्षेत्रीय शैली की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया। सालाना व बहुप्रतिक्षित उत्सव में सुबह से ही कलाप्रेमियों का आगमन शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे मेले का स्वरूप लेने लगा। दोपहर होने तक पूरे मार्ग पर पैर रखने की जगह बमुश्किल मिल पा रही थी। कई कलाप्रेमी प्रदर्शित कृतियों के साथ अपनी सेल्फी लेने में मस्त थे, तो कईयों ने कृतियां खरीदने में भी रुचि दिखाई। कुछ कलाकार बॉडी पेंटिंग का प्रदर्शन कर रहे थे तो उन्हें देख कलाप्रेमियों ने भी अपने शरीर पर पेंटिंग बनवाने का आनंद लिया। विदेशी कलाकार भी मेले में शामिल हुए। मेला परिसर में पर्यावरण जागरूकता संबंधी वीडियो व पोस्टर, कर्नाटक की २०वीं सदी की कला शैली प्रदर्शित किए। कलाकार ग्रेगरी जेक्शन हैली टेक्सास ने शारीरिक कौशल का प्रदर्शन किया, जबकि कॉलेज ऑफ फाइन आट्र्स के विद्यार्थियों ने विविध प्रस्तुतियां दीं, केंद्रीय ललितकला अकादमी नई दिल्ली ने भी कलाकृतियों, प्रकाशन का प्रदर्शन किया। मेला स्थल पर बच्चों, युवाओं और हर उम्र के लोगों के लिए उनकी पसंद अनुसार कला, खिलौने, खाने पीने की सामग्री उपलब्ध थी। शाम होने तक मेला स्थल पर पहुंचने वाले कलाप्रेमियों की संख्या लाखों में जा पहुंची। कलाप्रेमियों की सुरक्षा के लिए पूरा क्षेत्र सीसीटीवी कैमरों में निगरानी में रहने के साथ ही पर्याप्त पुलिसकर्मी मुस्तैद थे।