रामानुजगंज। चार दिनों तक मनाया जाने वाला पवित्रता और अटूट आस्था व श्रद्धा का महापर्व छठ मंगलवार को नहाय-खाय विधि के साथ प्रारंभ हुआ। नहाय-खाय में छठ व्रती पवित्रता के साथ अरवा चावल की भात, कद्दू की सब्जी और चना की दाल बनाकर पूजा करने के बाद ग्रहण करते हैं। फिर बुधवार की संध्या खरना पूजा कर दूध, गुड़ की खीर व रोटी का प्रसाद बांटा जाएगा। गुरुवार की संध्या को नदी और जलाशयों के छठ घाटों में अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को जहां अघ्र्य दिया जाएगा, वहीं शुक्रवार की सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को छठ व्रतियों (Chhath Puja 2024) द्वारा अघ्र्य दिया जाएगा। कथा, हवन और आरती के बाद छठ व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करेंगे।
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा में कई परंपराएं और मान्यताएं सदियों से चली आ रहीं हैं। नेम और निष्ठा के इस महापर्व में भीख मांग कर पूजा-अर्चना करने वालों की संख्या आज भी काफी है।
मनौती पूरी होने के बाद सदियों से भीख मांग कर छठ महापर्व करने की परंपरा चली आ रही है। आज भी इस परंपरा का निर्वहन कई परिवार कर रहे हैं। खरना पूजा के एक दिन पहले व्रती ढोल बाजा के साथ घर-घर जाकर भीख मांगते हैं।
श्रद्धालु जो भी स्वेच्छा से देते हैं, उसे व्रती पूजन सामग्री खरीद कर पूजा-अर्चना करते हैं। सामाजिक समरसता और समाज में एकरूपता बनाए रखने की इस परंपरा की लोग काफी सराहना भी करते हैं।
Chhath Puja 2024: कड़ाई से करते हैं नियमों का पालन
व्रती नियम और निष्ठा के साथ घरों की सफाई करने के बाद पारंपरिक गीतों से छठी मईया का आह्वान करते हैं। इसके बाद घर-घर जाकर भीख मांगते हैं। कहा जाता है कि छठी मैया से लोग मनौती मांगते हैं और जब उनकी मनौती पूरी होती है तो वे भीख मांग कर पूजा-अर्चना करते हैं।
मन्नत पूरी होने पर भीख मांग कर छठ करने की परंपरा यहां प्राचीन काल से चली आ रही है। मनोकामना पूरी होने के बाद व्रती भीख मांगते हैं। वे दउरा या सूप लेकर आसपास के घरों व गांवों में जाते हैं। यह संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। छठ पूजा में भीख मांगने की प्रथा सुखद मानी जाती है।
कई व्रती ढोल बाजे के साथ परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कई घरों में जाते हैं। लोग स्वेच्छा से नकद पैसा और चावल भिक्षा स्वरूप देते हैं। इस चावल का प्रसाद बनाते हैं और पैसे से पूजन की सामग्री खरीदते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठी मैया मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। उन पर लोगों की अटूट आस्था है।
Hindi News / Balrampur / Chhath Puja 2024: आस्था के साथ परंपरा का संगम, भिक्षाटन कर आज भी कई परिवार करते हैं छठ महापर्व