एक अक्टूबर को मनाते हैं वृद्ध दिवस
हर साल एक अक्टूबर को वृद्ध दिवस मनाते है। जिले में कई ऐसे वृद्ध हैं, जिसे शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। वहीं घर से निकाले गए बुजुर्गों के लिए शहर के वृद्धाश्रम आज जीने का सहारा बन गया है। इन बुजुर्गों का कहना है कि यहां रहकर वे खुश हैं। यहां किसी भी चीज की कमी नहीं है। समय पर भोजन मिल रहा है। इलाज मिल रहा है। बस की कंडक्टरी कर बेटे को पाला, आज बेटे ने निकाला
वृद्धाश्रम में रह रहे अजय ठाकुर ने बताया कि वे राजनांदगांव का रहने वाला है। जब वह स्वस्थ थे, तब पूरे परिवार को बस में कंडक्टरी कर पाला। बेटे को भी पढ़ाया लिखाया। बेटे की शादी के बाद बुढ़ावे के कारण शरीर साथ नहीं दे रहा है तो बेटा कहता है कि तुम काम नहीं करते बैठकर खाते हो। घर में बोझ हो, इसी बात को लेकर बेटे व बहू विवाद करते हैं, जिसके कारण उसे घर से निकाल दिया गया। अब बालोद आकर वृद्धाश्रम में रह रहे हैं।
जमीन बेटे के नाम नहीं की घर से निकाल दिया
वृद्धाश्रम में ही एक बुजुर्ग महिला है, जो कभी अपने परिवार में बहुत खुश थी। बेटे के नाम अपनी एक एकड़ जमीन को नहीं की तो वह विवाद करता है। शादी के बाद रोज लड़ाई झगड़ा करता था और घर से निकाल दिया। सरकारी योजना का लाभ लेने नक्सली बनकर किया आत्मसमर्पण, पूछताछ में फूटा भांडा, तीन गिरफ्तार
जिले सैकड़ों बुजुर्ग, जिन्हें नहीं मिलती पेंशन
बुजुर्गों के लिए वृद्धा पेंशन योजना है। कई बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन का लाभ मिल रहा है। सैकड़ो वृद्धजन हैं, जो पेंशन के हकदार तो है लेकिन सरकार के नियम कानून के कारण अपात्र हैं।
सर्वे सूची में नाम होने पर मिलती है पेंशन
वृद्धा पेंशन योजना के लिए 2002 व 2011 की सर्वे सूची में नाम आना अनिवार्य है, लेकिन कई बुजुर्गों का नाम नहीं है। उम्र के अंतिम पड़ाव में बुजुर्ग जीवन के खर्च के लिए तरस रहे हैं। कुछ ऐसे बुजुर्ग हैं जो बेटे-बहू से अलग रह रहे हैं। बुजुर्गों का कहना है कि सरकार 2002, 2011 की सर्वे सूची को आधार न माने बल्कि बुजुर्गों की स्थिति देख उसे वृद्धा पेंशन दें।
वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्ग का ख्याल रखा जाता है
उपसंचालक समाज कल्याण विभाग अजय गेड़ाम ने कहा कि जिले के सुख आश्रय (वृद्धाश्रम) में रह रहे बुजुर्ग का ख्याल रखा जाता है। बुजुर्गों को घर जैसी सुविधाएं दिलाने की कोशिश रहती है। वृद्धा पेंशन शासन के नियम के तहत दी जा रही है।