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बालाघाट

बछड़े को लांघी गाय, तो छाई खुशियां

पारंपरागत रूप से मनाया गया गोवर्धन पूजा पूर्व
अहीर व गोवारी समाज ने मनाई दीवाली
गायखुरी, कोसमी और वारासिवनी सब जेल में भी मनाया गया गोवर्धन पूजा पर्व

बालाघाटNov 03, 2024 / 12:30 pm

mukesh yadav

पारंपरागत रूप से मनाया गया गोवर्धन पूजा पूर्व

पारंपरागत रूप से मनाया गया गोवर्धन पूजा पूर्व

बालाघाट. शहर के सरकारी बस स्टैंड स्थित खिलिया मुठिया मंदिर में जैसे ही गाय खेलने लगी तो सभी सामाजिक बंधुओं मेंं खुशी की लहर दौड़ गई। सभी ने मंदिर प्रागंण में बनाए गोबर के गोवर्धन से गोबर उठाया और एक-दूसरे को तिलक लगाकर गले मिलकर बधाईयां दी। आखर मैदान में भारी शोर गुल और जनसमुदाय के बीच पारम्परिक रूप से गोवर्धन की पूजा अर्चना कर गाय खिलाई गई। इसके बाद गोवारा और अहीर समाज के लोगों ने शानदार गोवारी, अहीरी नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दौरान नपा अध्यक्ष भारती सुरजीत सिंह ठाकुर, मौसम हरिनखेड़े अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ उत्साह वर्धन करने पहुंची थी। सभी ने विधिवत पूजन अर्चन कर पर्व मनाया गया।
इसी तरह के शहर के समीपस्थ ग्राम कोसमी, गायखुरी और वारासिवनी सबजेल में भी गोवर्धन पूजा पर्व मनाया गया। सबजेल में जेल कर्मियों ने परिसर में गोबर से गोवर्धन की प्रतिकृति बनाकर जेलर अभय वर्मा ने परिवार के साथ पूजा अर्चना की। वहीं बंदियों को पर्व विशेष क शुभकामनाएं देकर बुरे काम से दूर रहने की नसीहत दी गई।
खिलाई खिचड़ी
गोवारी पूजा स्थल में गोवारा समाज के सभी मित्र-बंधुओं ने जोर-शोर से तैयारी की थी। जिसमें शहनाई का जुलबंधी कार्यक्रम दोपहर में पेश किया गया। समाज के वरिष्ठ लोगों ने गोवर्धन स्थल पर गाय खिलाने का कार्यक्रम विधि विधान से किया। आखर मैदान में गोबर से गोवर्धन पर्वत को फूलों से सजाया गया था। इसके बाद बाजार से गोवारी समाज के सदस्यों ने अनाज उघाई की। इसी अनाज से खिचड़ी बनाकर गौ माता को खिलाई गई।
बछड़े को लांघी गाय
गाय के बच्चे को गोवारी समाज के पूज्यनीय व्यक्ति ने छिपाकर रखा था। गाय को बछड़ा न दिखने की वजह से वह अपना बछड़ा ढूंढने की कोशिश करने लगी। गाय को बिचकाने के लिए जोर-जोर से शहनाई बजाने लगे और डर से गाय के आमने सामने उसे हमरने के लिए मजबूर करने लगे। देखते ही देखते गाय आक्रोशित हो गई। गाय के बछड़े को गोवर्धन पर लेटा दिया गया और गाय अपने बछड़े के उपर से लांघ गई। बस फिर खुशियां की झड़ी में एक दूसरे को गोबर का तिलब लगाकर बधाईयों का दौर शुरु हो गया।
आर्शिवाद देकर गए
गोवारी समाज के वरिष्ठ लोगों ने बताया कि आक्रोशित होकर जब गाय चिल्लाने लगी मांनों ऐसा लगता है कि स्वयं ब्रजवासी गोवर्धन भगवान कृष्ण पूजा स्थल पर आशीर्वाद स्वरुप अपना सूक्ष्म रुप देकर चले जाते हैं। उसी गोवर्धन के उपर छोटे बच्चों को लिटाकर दीर्घायु व स्वस्थ्य जीवन की कामना की जाती है।
गायखुरी में भी हुआ आयोजन
शहर के वार्ड नंबर 33 और कोसमी में भी गाय खिलाने की परंपरा निभाई गई। गायखुरी के दिलीप राउत ने बताया कि पिछले आठ सालों से यह आयोजन बंद था। इस बार समाज के लोगों के साथ बैठक कर पुन: गाय खिलाने की परंपरा शुरू की गई है। ग्राम से करीब छह सात गाय बछड़े सहित लेकर लोग पहुंचे थे। एक-एक कर सभी गाय को आखर मैदान में खिलाया गया।

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