किसानों के अनुसार इस क्षेत्र से होकर गुजरने वाली नहरों के आस पास बड़ी-बड़ी झाडिय़ा ऊग आई है। इन झाडिय़ों की लंबे अर्से से साफ सफाई नहीं कराई गई है। कई स्थानों पर नहरे क्षतिग्रत हो चुकी है। न तो मरम्मती करण कराया गया है, न ही कटाव को लेकर किसी प्रकार के सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।
किसानों ने बताया कि नहरों के जीर्णोद्वार को लेकर जब उन्होंने विभागीय अधिकारियों से संपर्क किया, तो अधिकारियों का कहना था कि विभाग के पास बजट नहीं है। बजट के अभाव में जर्जर नहरों का जीर्णोद्वार एवं साफ सफाई नहीं कराई जा सकी है। कटाव की वजह से पानी इन दिनों जगह-जगह से व्यर्थ बह रहा है। खेतों तक पानी नहीं पहुंचने के कारण किसानों को रबी फसल उत्पादन को लेकर भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों के अनुसार करीब 5 हजार हेक्टेयर में लगी रबी फसलों को जर्जर नहरों के जरिए पानी बमुश्किल ही मिल रहा है। कस्बीटोला, रेंगाझरी, सोनझरा, कन्हारटोला, अमई के किसान खरीफ फसल तो जैसे-तैसे उगा लेते हैं, लेकिन रबी फसल उत्पादन को लेकर उन्हें हर मोड़ पर परेशान होना पड़ रहा है।
रामपायली किसान संगठन अध्यक्ष कुंज बिहारी दुबे ने बताया कि रामपायली में नहर के 2 फाटे हैं। एक रामपायली और दूसरा कस्बीटोला, रेंगाझरी, सोनझरा के किसानों को पानी उपलब्ध कराया जाता है। करीब 8 से 10 साल का समय हो गया हैं, नहर की साफ सफाई नहीं करवाई गई है। नहर के पुल, पुलिया एवं पानी की निकासी नाली लगभग गुम हो गई हैं। विभाग का कहना है कि हमारे पास ना तो काम करने वाले लोग हैं, ना उपयुक्त पैसा। ताकि हम व्यवस्था बना सके। सरपंच संदीप बाघमारे, जनपद सदस्य जगदीश बंसोड़ नहरों को लेकर विधायक विवेक पटेल से मुलाकात करने वाले हैं, ताकि नहर का सीमेंटीकरण हो सकें।
क्षेत्र के किसान संदीप वाघमारे, थानसिंह पटले, सुरेश ठाकरे, पुरुषोत्तम पटले, राजेन्द्र ठाकरे, अमित सिंह बैस, राजकुमार गोंडुडे, रमाकांत कापरे, नागेश पटले, होमेन्द्र पटले, युवराज राणा, रेखलाल पालेवार, टेकलाल पालेवार, उमाशंकर राणा, बुद्धेश बिसेन, योगराज हनवत, रविंद्र हनवत, अनिल पालेवार, राजेन्द्र सिंह चौहान, राजेंद्र बारेवार, गौरीशंकर हरिनखेड़े, मुन्नू दुबे, उमाशंकर राणा, जगदीश बंसोड़, बबलू सोनबिरसे आदि किसानों ने नहरों का जीर्णोद्वार किए जाने की मांग की है।
वर्षों से नहरों की सफाई और सीमेंटीकरण का कार्य नहीं हो पाया हैं। बांधों से निकलने वाला पानी खेतों तक पहुंच नहीं पाता और यहां वहां बहकर नुकसान का कारण बनता हैं। सरकार प्रतिवर्ष पैसे लेने आ जाती है, लेकिन रख रखाव उस अनुपात में जीरो हैं।
उमाशंकर राणा, किसान
ठानसिंह पटले, किसान
कोमल गजभिए, प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी अधर नहर उप संभाग वारासिवनी