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बालाघाट

सडक़ किनारे से कीमती सागौन का हो गया कत्लेआम

गहरी नींद में वन विभाग के जिम्मेदार, स्टॉफ की कमी का रो रहे रोना

बालाघाटJun 08, 2023 / 08:21 pm

mukesh yadav

सडक़ किनारे से कीमती सागौन का हो गया कत्लेआम

सडक़ किनारे से कीमती सागौन का हो गया कत्लेआम

बालाघाट/तिरोडी. वनों की सुरक्षा का दंभ भरने वाला वन अमला अपने कर्तव्यों को लेकर कितना संजीदा है, तिरोड़ी सर्किल में देखा जा सकता है। दरअसल वन परिक्षेत्र कटंगी के तिरोड़ी सर्किल में बीट क्रमांक 755 एवं 774 में अच्छी क्वालिटी के सागौन के पौधे रोपे गए थे, जो अब बड़े होकर बहुमूल्य पेड़ बन चुके हंै। जिन्हें शायद वन विभाग ने चोरों के सुपुर्द कर दिया है। तभी तो इस नर्सरी में मुख्य सडक़ के किनारे से आसानी से कीमत सागौन का कत्लेआम किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार अब भी गहरी नींद में नजर आते हैं। अवैध कटाई के बाद अब जिम्मेदार स्टॉफ की कमी का रोना रो रहे हैं।
एक दर्जन से अधिक ठूंठ आए नजर
पत्रिका ने उक्त का सडक़ किनारे से मुआयना किया। इस दौरान करीब एक दर्जन से अधिक सागौन के ताजे और पुराने ठूंठ नजर आए। यहां बड़ी असानी से सागौन चोरों ने आरी और कुल्हाड़ी से सागौन के पेड़ों की कटाई की इसके बाद उनका परिवहन भी किया जा चुका है। लेकिन विभाग को भनक तक नहीं लग पाई है। अब सांप निकल जाने के बाद जिम्मेदार लाठी पीटते नजर आ रहे हैं।
भारी मात्रा में कटाई की आशंका
जानकारी के अनुसार सागौन नर्सरी के सडक़ किनारे के ही एक दर्जन से अधिक सागौन के पड़ों का कत्लेआम कर दिया गया है तो नर्सरी के अंदर कितने पड़ों की कटाई की गई होगी समझा जा सकता है। बताया कि इस नर्सरी से सागौन कटाई के बाद परिवहन किए जाने वन विभाग के नाके भी पड़ते हैं। बावजूद इसके वन विभाग सागौन चोरों को पकडऩे में नाकामयाब नजर आ रहा है। नर्सरी के अंदर भी भारी मात्रा में कटाई होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
पारदर्शी हो रही नर्सरी
स्थानीय ग्रामीणों की माने तो जिस समय यहां सागौन की नर्सरी रोपित की गई थी, उस समय नर्सरी काफी घनी हुआ करती थी। अब नर्सरी के पौधे पड़े चुने हैं। ऐसे में यहां सुरक्षा के लिहाज से फारेस्ट गार्ड, चैकीदार और डिप्टी रेंजर सहित अन्य अमला निगरानी करने तैनात किए गए हैं। बावजूद इसके सडक़ किनारे से सागौन की कटाई जारी है। परिणाम स्वरूप कभी घनी व सघन नजर आने वाली सागौन की यह नर्सरी पारदर्शी दिखाई देने लगी है। ग्रामीणों की माने तो जंगल के अंदर आरी या कुल्हाड़ी चलती है तो सडक़ किनारे तक उसकी आवाज आती है। ऐसे में इतने पड़ों की कटाई के बावजूद वन विभाग को भनक न लग पाना दाल में कुछ काला होने की ओर इंगित कर रहा है। बहरहाल पूरे मामले में पंचनामा व जांच की दरकार बनी हुई है। इसके बाद मामले से पटाक्षेप हो सकता है।
वर्सन
वर्सन
क्या करें अगर कटाई होती भी है तो, उससे हम क्या कर सकते हैं। मुखबीर भी लगा दिए हंै, इसके बावजूद चोर पकड़ में नहीं आ रहे हैं। अगर हमें पता रहे कि फलाना झाड़ कट रहा है, तो हम रातभर वहीं सो जाते। जंगल इतना बड़ा क्षेत्र है कहां-कहां घूमेंगे। हमारे पास स्टाफ की भी कमी बनी हुई है।
लक्ष्मीचंद कटरे, डिप्टी रेंजर तिरोड़ी

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