तालाबों में गाद कैसे होगा जलसंग्रहण
रेलवे के भरोसे रह गई नपा, तालाबों का नहीं कराया गहरीकरण
तालाबों में गाद कैसे होगा जलसंग्रहण
कटंगी। शहर के तीनों ही तालाब लंबे अर्से से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। मगर, नेता और अफसर, नगर परिषद तथा जल संसाधन विभाग इन तालाबों की सुध नहीं ले रहे हैं। नगर परिषद शहरी तालाबों के गहरीकरण के लिए रेलवे ठेकेदार पर निर्भरता दिखा रही है। दरअसल, नगर परिषद के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी रेल टे्रक निर्माण करने वाले ठेकेदार को तालाब की मिट्टी देना चाहते हैं, ताकि शासन से स्वीकृत राशि से बिना एक रुपए खर्च किए ही तालाबों का गहरीकरण हो जाए। लेकिन ट्रेक निर्माण करने वाले ठेकेदार के द्वारा तालाब से अब तक एक तसला मिट्टी भी नहीं उठाई गई है।
गौरतलब हो कि शासन ने नगर के तालाबों का सुदृढ़ीकरण एवं गहरीकरण के लिए 2 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृति की है। जिसमें 1 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति भी दी जा चुकी है। लेकिन नपा इस राशि का उपयोग नहीं कर रही है। वहीं जिन अनुमानित तालाब बड़ा तालाब, मुंदीवाड़ा तालाब और देवी तालाब के लिए यह राशि स्वीकृत होने की चर्चा है, वह अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रहे हैं।
इन तालाबों की हालत दयनीय
एक दशक पहले तक हर समय तर रहने वाले यह तालाब गर्मी के दिनों में बूंद-बूंद पानी को तरस जाते हैं। खासतौर पर मुंदीवाड़ा जलाशय की हालत बहुत ही खराब होती है। इस तालाब के जीर्णोद्वार पर नगर परिषद ने लाखों रुपए खर्च किए हैं। लेकिन तालाब की तस्वीर बताती है कि जीर्णोद्धार के नाम पर महज खानापूर्ति और भष्ट्राचार किया गया है। ध्यान रहे शहर के यह तीनों ही जलाशय सिर्फ मवेशियों की पानी की जरूरत को ही पूरा नहीं करते बल्कि दर्जनों मछली एवं सिंघाड़ा पालकों की रोजी रोटी और जीविका का साधन जुटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार होने की वजह से अब धीरे-धीरे इन जलाशयों की हालत खराब होते जा रही है। बारिश होने के बाद भी इनमें जल संग्रहण नहीं हो पा रहा है। वहीं तालाबों का आकार दिन-ब-दिन अतिक्रमण की वजह से आकार सिकुड़ता जा रहा है।
समाप्ती की ओर सावन मास
जानकारी के अनुसार 10 दिनों बाद सावन का महीना समाप्त हो जाएगा। मौसम चक्र के मुताबिक इसके बाद बारिश का केवल एक महीना ही और शेष रहेगा। क्षेत्र में इस साल भी बहुत ही कम बारिश हुई है। जिसका व्यापक असर कृषि कार्य में दिखाई पड़ रहा है। धान उत्पादक किसान चिंतित और परेशान है। बारिश नहीं होने की वजह से सैकड़ों किसानों ने अब तक धान की बुवाई शुरू नहीं की है। वहीं बारिश के अभाव में कूप, जलाशय एवं बांध भी खाली पड़े है। इन्हें बारिश का इंतजार है। यहां नगर में तालाबों के कंठ प्यासे हैं। वहीं गांव-गांव में तालाबों की हालत भी काफी चिंताजनक है। वैसे तो हमारे पास जल संग्रहण के लिए पर्याप्त साधन मौजूद है। मगर, देख-रेख के अभाव में यह सभी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। तालाबों में इनती गाद जमी हुई है कि बारिश का नाम मात्र ही पानी जमा हो पाता है।
वर्सन
तालाबों के जीर्णोद्वार के लिए डीपीआर बनाया जा रहा है। इसके बाद विधिवत टेंडर निकालकर जीर्णोद्वार कार्य कराया जाना है।
राधेश्याम चौधरी, सीएमओ नपा कटंगी
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