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बालाघाट

मर्ज घटाने के बजाए बढ़ा रहा शहर का जिला अस्पताल

सढ़ांध मारती बदबु से गुजरना मुहाल, संक्रमण का भी बढ़ा खतरा, नालियों में बहाया जा रहा बायो मेडिकल वेस्ट, महिनों से नहीं की जा रही साफ-सफाई

बालाघाटMar 10, 2018 / 11:53 am

Bhaneshwar sakure

jila aspatal
बालाघाट. शहर का शहीद भगत सिंह जिला अस्पताल इन दिनों स्वयं बीमार नजर आ रहा है। यहां साफ-सफाई किए जाने के दावे तो किए जा रहे हैं। लेकिन हकीकत बिलकुल इसके उलट है। पत्रिका ने शुक्रवार को यहां का मुआयना किया। इस दौरान यहां दृश्य काफी चिंताजन नजर आए। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छता अभियान यहां टॉय टॉय फिस नजर आया। वहीं मरीजों व कर्मचारियों का कहना था कि जिला अस्पताल मरीजों को स्वस्थ्य करने की बजाए मर्ज बढ़ाने का काम कर रहा है।
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में सर्वाधिक परेशानी पीएम कक्ष के आस-पास की सामने आई। यहां नाले के माध्यम से पूरे जिला अस्पताल के निस्तार के गंदे व संक्रमित पानी को बहाया जाता है। लेकिन इस नाले की महिनों से साफ-सफाई नहीं की गई। वहीं इस नाले व पीएम कक्ष के आस-पास ही बायो मेडिकल वेस्ट भी फेंका जा रहा है। इस कारण पूरे पीएम कक्ष के आस-पास सढ़ांध मारती बदबू का माहौल निर्मित हो गया है। परिणाम स्वरूप गर्मी में बायो मेडिकल वेस्ट व कचरे ने सढ़कर भारी दुर्गंध का रूप धारण कर लिया है। यहां खड़े रहना तो दूर कोई गुजरना भी पसंद नहीं कर रहा है। अस्पताल में भर्ती मरीजों व परिजनों ने शीघ्र यहां साफ-सफाई व स्वच्छ माहौल बनाए जाने की मांग की है।
अस्पताल चौकी पुलिस ने की शिकायत
जानकारी के अनुसार पीएम कक्ष व बाहर परिसर की दुर्गंध से सर्वाधिक परेशान अस्पताल चौकी पुलिस के कर्मचारीगण है। जिनके द्वारा सिविल सर्जन व पुलिस अधीक्षक के नाम एक पत्र लिखकर अपनी शिकायत भी दर्ज कराई है। अस्पताल चौकी कर्मचारियों के अनुसार पीएम के दौरान उन्हें घंटों पीएम कक्ष के समक्ष खड़े रहना पड़ता है। जबकि वहां दुर्गंध के चलते एक मिनट भी खड़ा रहना मुश्किल होता है। ऐसे में ड्यूटी में तैनात कर्मचारी संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। जिनके द्वारा निजी चिकित्सकों के पास अपना उपचार भी कराया जा रहा है।
अधिनियम का हो रहा उल्लंघन
जानकारी के अनुसार बायो मेडिकल वेस्ट के निबटान को लेकर भारत सरकार ने बायो मेडिकल वेस्ट मेनेजमेंट व हैंडलिंग रूल्स 1998 पारित किया है, जो कि उन सभी लोगों पर लागू होता है, जो ऐसे बायो मेडिकल कचरे को इकट्ठा करने, उत्पन्न करने, प्राप्त करने में ट्रांसपोर्ट, डिस्पोस करते हैं या उनसे सम्बंधित डील करते हैं। यह नियम अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, पशु संस्थान, पैथोलोजिकल लैब और ब्लड बैंक पर लागू होता है। ऐसे संस्थानों के लिए बायो मेडिकल वेस्ट कचरे को ट्रीट करने के लिए अपने संस्थानों में मशीनें और आधुनिक उपकरण में लगाने ही होंगे। उनके पास इसके निराकरण के लिए उचित व्यवस्था का सर्टिफिकेट होना चाहिए। अगर किसी के पास यह सर्टिफिकेट नहीं मिलता है तो हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन तक रद्द किए जाने का प्रावधान है। लेकिन स्वयं जिला अस्पताल में ही इस नियम का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। जिस पर अब तक वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान नहीं गया है।

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