80 के दशक के चौधरी चरण सिंह ने पार्टी में अपना सियासी वारिस के तौर पर उन्हें भारत बुलाया। 1986 में जब उनके पिता चरण सिंह बीमार थे तो वो राज्यसभा पहुंचे। 1987 में लोकदल (ए) के अध्यक्ष और बाद में 1988 में जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। 1989 में जनता दल के महासचिव बनाए गए। पहली बार बागपत से 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए। और वीपी सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 1991 में लोकसभा पहुंचे तब पीवी नरसिंहराव की सरकार में मंत्री बने। 1999, 2004 औऱ 2009 में फिर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2001 से 2003 में वो अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बने। इस तरह पिछले 2-3 दशकों में तकरीबन केंद्र में हर सरकार में मंत्री रहे। 2011 में यूपीए सरकार में केंद्रीय उड्डयन मंत्री रहे। हालांकि इतने समय तक मंत्री रहने के बाद भी वह अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह की मजबूत विरासत और जमीन को बनाकर नहीं रख पाए। उम्र के आखिरी पड़ाव में न तो यूपी विधानसभा में रालोद का कोई सदस्य है और ना ही लोकसभा और राज्यसभा में।