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दरअसल, बैसाखी का त्यौहार आते ही हर तरफ खुशियों का माहौल होता था। एक तरफ किसान गेहूं की फसल की कटाई को लेकर खुशियां मनाते थे और बैसाखी पर एक दूसरे के साथ बैठकर त्योहार का आनंद लेते थे। वहीं, बैसाखी के बाद से ही शादियों का सीजन भी शुरू हो जाता था। पूजा-पाठ से लेकर धार्मिक अनुष्ठान और विवाह में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे, लेकिन कोविड-19 संक्रमण बीमारी के चलते सभी पर विराम से लग गया है। बागपत जनपद के बड़ा गांव निवासी पंडित श्रीकांत शास्त्री का कहना है कि सभी धार्मिक कार्य लॉकडाउन के कारण बंद हो चुके हैं, जो यात्री आते थे। वह नहीं आ रहे हैं, जो कर्मकांडी ब्राह्मण हैं। वह इस वक्त अपने घर बैठे हुए हैं। पूजा-पाठ नहीं हो रही है।
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अगर कोई इमरजेंसी कार्यक्रम आ रहे हैं तो वह भी एक ब्राह्मण को ही करना पड़ रहा है, जो बाहर से आने वाले ब्राह्मण है और मंदिरों में रह रहे हैं। उनको परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है। शादी-विवाहों का भी कार्यक्रम बंद हो जाने के कारण रोजगार का एक बहुत बड़ा संकट आ गया है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से जनपद में 1000 से लेकर 10000 तक शादियां प्रभावित हुई हैं। इस सीजन में 10000 के करीब शादियां होने का अनुमान था। शादियों के रद्द हो जाने से रोजगार पर भी बुरा असर पड़ा है। ब्राह्मण से लेकर मजदूरों, दुकानदारों, हलवाइयों, और टेंट वालों के कारोबार सहित दूध की डेरियों पर भी असर देखने को मिला है।