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विनोद तोमर ने बताया कि मां का सपना था कि गांव बेटियां भी उनकी तरह घर की दहलीज लांघकर अपना भविष्य संवार सकें। इसके लिए उन्होंने हाल ही में घर की जमीन पर एक शूटिंग रेंज बनवाई थी, जिसका उद्घाटन मां को करना था, लेकिन
कोरोना के चलते यह मुमकिन नहीं हो सका। विनोद कहते हैं कि अब वह मां के सपने को पूरा करने के लिए जल्द ही शूटिंग रेंज शुरू करवाएंगे। विनोद ने बताया कि मां चाहती थीं कि खुद की शूटिंग रेंज में मनमाफिक शूटर तैयार करेंगी और गांव की बेटियों के सपने पूरे होंगे।
शूटिंग रेंज में बच्चों का रखतींं थी पूरा ख्याल शूटर सौरभ चौधरी के
कोच अमित श्योराण ने बताया कि
शूटर दादी चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर के कारण ही गांव के लोगों ने अपनी बेटियों को घर की दहलीज से बाहर शूटिंग रेंज तक जाने की अनुमति दी थी। उन्होंने बताया कि शूटर दादी को देखकर गांव की बेटियों में भी कुछ कर गुजरने का जज्बा आया। उन्होंने बताया कि शूटर दादी रेंज में आने वाले सभी बच्चों का पूरा ख्याल रखती थीं और उन्हें कुछ कर गुजरने के लिए भी प्रेरित करती रहती थीं।
दादी की प्रेरणा से बेटियों को मिली सरकारी नौकरी कोच श्योराण ने बताया कि 1998 में गांव ज्योड़ी में एक शूटिंग रेंज हुआ करती थी। उन्होंने बताया कि 2000 में जब
शूटर दादी ने घर की दहलीज पार कर बच्चों के साथ शूटिंग रेंज में अभ्यास शुरू किया तो गांव की तस्वीर बदलने गई। दादी की ही प्रेरणा से ही सीमा तोमर, शैफाली, वर्षा तोमर, रूबी तोमर और सर्वेश जैसी कई शूटर को सरकारी नौकरी मिली। उन्होंने बताया कि वर्तमान में बागपत जिले की बात करें तो यहां करीब दो दर्जन शूटिंग रेंज हैं। जहां करीब तीन सौ शूटर अभ्यास करते हैं।