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लेकिन हम बात करें जातिगत आंकड़ों की तो समीकरण कुछ और ही कह रहे है। 11 अप्रैल को हुए मतदान में जाट और हरिजन वोटों का बिखराव गठबंधन के लिए खतरे की घंटी बन गया है, बीजेपी के दिग्गज भी असमंजस में हैं कि आखिर यह बिखराव कितना हुआ है और किसकी तरफ इनका रुक हुआ, क्योंकि जाट और हरिजन वोट बैंक ही बागपत के लोकसभा प्रत्याशी का फैसला करने वाले हैं।
चुनाव से पहले जाट मुस्लिम हरिजन और यादवों को जोड़कर बनाया गया गठबंधन जातिगत आंकड़ों के आधार पर गठबंधन की जीत तय कर चुका था। भाजपा के पास त्यागी, ब्राह्मण, गुज्जर कश्यप वैश्य राजपूत वाल्मीकि सहित अन्य जातियों का वोट बैंक भाजपा को संघर्ष करने के लिए प्रेरित कर रहा था, गठबंधन के आंकड़ों की हम बात करें तो बागपत लोकसभा सीट पर 340000 जाट 30,0000 मुस्लिम 33000 यादव मिलकर 673000 का वोट बैंक बना रहे हैं वहीं हरिजन वोटों को छोड़ दे तो त्यागी ब्राह्मण गुज्जर सहित अन्य जातियां भाजपा के पक्ष में मानी जा रही है जिनका वोट बैंक 681000 की टक्कर दे रहा है। अब बात करें हरिजन वोट बैंक की जो बागपत लोकसभा सीट पर 109000 हरिजन हैं यह वोट बैंक किस पार्टी के लिए कितना गया है यह उनकी जीत तय करेगा। या यूं कहें कि चौधरी परिवार की विरासत हरिजन वोटों के हाथ मे नजर आ रही है।
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