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बागपत

वकालत की डिग्री नहीं, फिर भी केस कराने या बचाने की ‘दीपक सारस्वत’ इतना लेते हैं फीस

आज कानूनी दावपेच लगाने और कोर्ट में खड़े रहने को वकील अच्छी खासी फीस डिमांड करते हैं, जितना बड़ा वकील उतनी ऊँची फीस। लेकिन एक युवक ऐसा भी है जिसके पास वकालत की डिग्री नहीं है लेकिन फिर भी वो लोगों को किसी भी केस से बचाने के लिए अपनी जी—जान लगा देते हैं। इस युवक का नाम दीपक सारस्वत है। जो कि किसी एक जिले में नहीं बल्कि पूरे एनसीआर के जिलों में लोगों की हर तरह से कानूनी मदद के लिए तैयार रहते हैं।

बागपतNov 12, 2022 / 02:52 pm

Kamta Tripathi

वकालत की डिग्री नहीं, फिर भी केस कराने या बचाने की इतना लेते हैं फीस 'दीपक सारस्वत'

वकालत की डिग्री नहीं, फिर भी केस कराने या बचाने की इतना लेते हैं फीस ‘दीपक सारस्वत’

गरीब हो या अमीर किसी भी व्यक्ति के लिए अगर कानून की मदद चाहिए तो ऐसे में एक शख्स हमेशा तैयार रहता है। जो मामले को कोर्ट तक लाने या पुलिस थाने में मामला ख़त्म कराने का भी चार्ज करता हैं। सोशल मीडिया में छाए रहने वाले दीपक सारस्वत, जो सोशल एक्टिविस्ट हैं। आए दिन किसी ना किसी थाने में खड़े दिखाई देते हैं। दीपक सारस्वत एक समाज सेवक के रूप में काम करते हैं। आरोपी हो या पीड़ित,ये सच्चाई के लिए खड़े होते हैं और मामले को अंजाम तक ले जाने का प्रयास करते हैं। उनका कहना है कि वो अक्सर गरीब और कमजोर लोगों के लिए खड़े रहते हैं। उनके लिए तो अपनी जेब से पैसा लगाने में भी नहीं पीछे हटते। हाँ,सक्षम लोगों से 20-30 से 50 हज़ार तक भी चार्ज करते हैं, और वो भी काम होने के बाद,चाहे मामला किसी भी शहर या थाने का हो।

दीपक सारस्वत, मददगार को हर वो सपोर्ट देते हैं, जो कानून को सच को मानने पर बाध्य करता है। उनके पीछे राजनैतिक, प्रशाशनिक, मीडिया व वकीलों की टीम का नेटवर्क है, जो किसी बेगुनाह को जेल जाने से और पीड़ित को इंसाफ दिलाने में थाने में पूरा जोर लगाता है। सारस्वत का कहना है कि मैंने कभी किसी भी केस के लिए किसी भी पुलिस को बाध्य नहीं किया, ना ही किसी असभ्य भाषा का उपयोग किया है। मैंने सिर्फ सच का आइना दिखाया है, जिसे कई बेईमान अफसर पैसे या ताकत की आड़ में देख नहीं पाते” कई बार जब थाने में उनके हक़ में बात नहीं सुनी जाती, तो वो उच्च अधिकारीयों तक पहुंच जाते हैं, अंत में उनकी लीगल टीम कोर्ट का रुख लेती है।

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अधिकतर ग़रीब और पीड़ित महिला के लिए सारस्वत पहुंचते हैं। जिनकी फरियाद थाने में नहीं सुनी जाती। दहेज़ प्रताड़ना, दबंगों द्वारा सताए जाने, व पुलिस के द्वारा झूठा मुकदमे को सारस्वत की टीम छाटती और फिर लीगल कार्यवाही के लिए मामला तैयार किया जाता है। कई पुलिस और डिपार्टमेंट को भी सारस्वत लीगल नोटिस भी भेज चुके हैं। दीपक सारस्वत, राजनीति की अच्छी सूझबूझ रखते हैं और साथ ही वो एक सफल इलेक्शन कंपैनर भी हैं। पर उनका मानना है कि वो राजनीति में कभी नहीं उतरेंगे। हाँ, यदि मौका मिला तो किसी विभाग, आयोग या बोर्ड के लिए पदाधिकारी हो सकते हैं, जिससे अधिक ताकत के साथ गरीबों और पीड़ितों की ज्यादा से ज्यादा मदद हो सके।

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