रालोद ने सोमवार को बागपत से राजकुमार सांगवान को उम्मीदवार बनाकर यह बता दिया है कि इस बार चौधरी परिवार से चुनावी मैदान में कोई नहीं है। बागपत को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंक का गढ़ माना जाता है, लेकिन वर्तमान में यहां से भाजपा के सत्यपाल सिंह सांसद हैं। वहीं, राजकुमार सांगवान जाट बिरादरी के सबसे वरिष्ठ एवं प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। पश्चिमी यूपी में जाटों और गुर्जरों की संख्या ठीक है, ऐसे में रालोद की ओर से इन दोनों बिरादरियों के उम्मीदवार घोषित करना जातीय समीकरण साधने की कोशिश मानी जा सकती है।
वहीं, रालोद ने बिजनौर लोकसभा सीट से चंदन चौहान को उम्मीदवार बनाया है। चंदन चौहान मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से विधायक हैं। चौहान गुर्जर बिरादरी से आते हैं। उनके पिता संजय सिंह चौहान 2009 के लोकसभा चुनाव में बिजनौर से सांसद भी रह चुके हैं। उनके दादा नारायण सिंह चौहान 1979 में यूपी के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
बता दें कि मोदी सरकार ने कुछ दिन पहले ही में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही रालोद का एनडीएम में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे। बाद में जयंत चौधरी न ने इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर एनडीएम में शामिल हो गए।
बागपत की बात करें तो यह चरण सिंह की कर्मभूमि है। 1977 में पहली बार चौधरी चरण सिंह ने इस सीट से चुनाव लड़ा। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की लहर के बावजूद 1980 और 1984 में लगातार जीत हासिल की। उनके बेटे अजीत सिंह को 1989 में यह सीट विरासत में मिली और उन्होंने 2009 तक छह बार इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।