अब तक बरामद हुए 532 बच्चे जीआरपी व आरपीएफ ने पिछले चार साल में ऐसे 532 बच्चों को रेलवे स्टेशनों या ट्रेनों से पकड़ा, जो माता-पिता से गुस्सा होने पर जरा सी बात पर घर से भाग गए थे। ऐसे बच्चों को अफसरों ने उनके घर तक सकुशल पहुंचा तो दिया है, लेकिन तेजी से बढ़ते इस तरह के मामलों से हैरान भी है। आंकड़ों की माने तो इन चार साल में सहारनपुर से 150, दिल्ली से 139, शामली से 113, बागपत से 92 और मेरठ से 38 बच्चों ने घर छोड़ा है।
कंडक्ट डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं बच्चे नोडल अधिकारी मानसिक रोग डॉ. अजेंद्र मलिक बताते है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे कंडक्ट डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे झूठी कहानी बनाते हैं। गुस्सैल स्वभाव के हो जाते हैं। अगर वह किसी चीज को चाहने लगे तो उसे पाने के लिए हर हद तक पहुंच जाते हैं। बताया कि व्यस्तता के चलते मां-पिता बच्चों से कम ही बातचीत करते हैं। इससे बच्चों और अभिभावकों के बीच बचपन से ही एक दूरी बन जाती है। ऐसी स्थिति में बच्चे सही गलत का फर्क नहीं समझ पाते हैं।
जीआरपी व आरपीएफ द्वारा स्टेशन से पकड़े गए बच्चों का आंकड़ा वर्ष बालक बालिका कुल 2018 101 25 126 2019 117 21 138 2020 107 12 119 2021 143 6 149
एसपी जीआरपी अपर्णा गुप्ता ने बताया कि सभी स्टेशनों पर इसकी सख्त हिदायत दी गई है कि जहां कहीं भी बच्चे संदिग्ध परिस्थिति में घूमते हुए या फिर ट्रेन में यात्रा करते दिखाई दें उनसे तुरंत पूछताछ की जाए। अभी तक तो जीआरपी का प्रयास काफी सफल रहा है। आगे भी जारी रहेगा।