शवों को नहीं नसीब हो रहा श्मशान घाट शर्मनाक कहें या कुछ और लेकिन जिले के श्मशान घाट पर दाह संस्कार के बजाय परिजनों को शव लेकर लौटना पड़ रहा है। इस श्मशान घाट के भीतर और वहां तक जाने वाले रास्तों पर जलभराव है। जिम्मेदारों की आंखों पर पट्टी बंधी है, क्योंकि जल निकासी कराने की उन्हें चिता नहीं है। गायत्री पुरम कॉलोनी के 85 वर्षीय अनिल गुप्ता का निधन हो गया। परिजन और पड़ोसी उनके शव का दाह संस्कार करने के लिए पार्थिव शरीर लेकर एक किमी दूर शहर के श्मशान घाट के पास तक पहुंचे, लेकिन श्मशान घाट तक जाने वाले रास्तों आर बाकी एरिया में कई-कई फुट पानी भरा है। श्मशान घाट में भी पानी भरा है। श्मशान घाट तक जाने का भरसक प्रयास किया लेकिन जिधर जाते उसी तरफ आगे जलभराव मिलता।
अर्थी लेकर लौट रहे लोग परिजनों और अन्य शुभचितक लोगों को बिना दाह संस्कार किए शव को वापस लेकर लौटना पड़ा। लोगों को पांच किमी दूर अग्रवाल मंडी टटीरी के श्मशान घाट पर जाकर शव का दाह संस्कार करना पड़ रहा है। लोगों ने नगर पालिका परिषद के श्मशान घाट और रास्तों से जल निकासी की व्यवस्था नहीं कराने पर आक्रोश जताया है।
पंप से नहीं हो सकती जल निकासी- अधिशासी अधिकारी बता दें कि इससे पहले भी लोगों को श्मशान घाट से इस तरह शव वापस लाकर कहीं और दूसरे स्थान पर दाह संस्कार को मजबूर होना पड़ा है। नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी ललित आर्य ने कहा कि शहर के चार वार्डों का पानी श्मशान घाट की तरफ जाकर फैलता है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पूरा होने पर श्मशान घाट की तरफ के जलभराव से मुक्ति मिलेगी। पानी इतना ज्यादा है कि पंप सेट लगाकर निकासी नहीं हो सकती।