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अयोध्या

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने से भी बड़ी खबर, अयोध्या में पत्थरों को लेकर भिड़ंत, VHP की सारी मेहनत हुई बेकार

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों पर विश्व हिंदू परिषद और निर्मोही आखाड़ा भिड़ गए हैं…

अयोध्याOct 29, 2018 / 12:35 pm

नितिन श्रीवास्तव

VHP and Nirmohi Akhara dispute over Ram Mandir Stone in Ayodhya

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने से भी बड़ी खबर, अयोध्या में पत्थरों को लेकर भिड़ंत, VHP की सारी मेहनत हुई बेकार

अयोध्या. पूरे देश में राम मंदिर बनाने को लेकर चल रही बहस अब अपने फाइनल दौर में पहुंच चुकी है। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवादित भूमि को लेकर चल रहे विवाद पर 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ को सुनवाई करनी थी, लेकिन फिलहाल इसे जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है। भले ही इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आना हो लेकिन उससे पहले ही राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों पर विश्व हिंदू परिषद और निर्मोही आखाड़ा आपस में भिड़ गए हैं।
पत्थरों को तराशने का काम जारी

दरअसल अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए पत्थर तराशने का काम लगातार जारी है। विश्व हिंदू परिषद के मुताबिक साल 1990 से लेकर अबतक लगभग 1 लाख घन फीट पत्थर मंदिर के लिए तराशे जा चुके हैं और आगे भी यह काम लगातार जारी है। विहिप कार्यकर्ताओं का कहना है कि भव्य राम मंदिर बनाने में 1 लाख 75 हजार घन फीट पत्थरों की जरूरत होगी। पत्थरों को तराशने का काम काफी हद तक हो चुका है। पत्थरों का आना और उनको तराशने का काम तेजी से चल रहा है।
हम खुद करेंगे पत्थरों की व्यवस्था

वहीं वीएचपी की तरफ से पत्थरों को लेकर हुई तैयारी को अयोध्या मामले के एक पक्ष निर्मोही अखाड़ा ने बड़ा झटका दिया है। निर्मोही अखाड़ा के पक्षकारों ने पत्थरों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनके मुताबिक राम मंदिर के निर्माण में विश्व हिंदू परिषद के तराशे हुए पत्थरों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। निर्मोही अखाड़े का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से अगर हमारे पक्ष में फैसला आता है तो हम राम जी की कृपा से अपनी व्यवस्था हम खुद करेंगे। हम राम मंदिर बनाने में वीएचपी के पत्थरों का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
मामले के तीन पक्षकार

आपको बता दें कि अयोध्या मामले में तीन पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला हैं। इससे पहले 30 सितंबर, 2010 को उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन को इस मामले के तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई विवादित भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर है।

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