scriptMilkipur By-Election: मिल्कीपुर में योगी के दांव से बिगड़ गया अखिलेश-अवधेश का गणित,लेकिन उप-चुनावों के ट्रेंड को तोड़ना है बड़ी चुनौती  | Milkipur By-Election: Akhilesh-Awadhesh's mathematics got spoiled due to Yogi's bet in Milkipur, but breaking the trend of by-elections is a big challenge. | Patrika News
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Milkipur By-Election: मिल्कीपुर में योगी के दांव से बिगड़ गया अखिलेश-अवधेश का गणित,लेकिन उप-चुनावों के ट्रेंड को तोड़ना है बड़ी चुनौती 

Milkipur by-election 2025: उत्तर प्रदेश में महाकुंभ का भव्य आयोजन चर्चाओं में है तो वहीं मिल्कीपुर उपचुनाव पर भी पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। इस उपचुनाव में हार-जीत से ज्यादा सत्तापक्ष और विपक्ष के लिए अपनी साख बचाना बड़ी चुनौती है। 2027 के सियासी महासंग्राम से पहले हो रहे इस उपचुनाव के परिणामों के सियासी निहितार्थ जरूर निकाले जाएंगे।  

अयोध्याJan 15, 2025 / 06:02 pm

ओम शर्मा

Milkipur

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Milkipur Election 2025: मिल्कीपुर उपचुनाव के रण में तस्वीर साफ हो चुकी है। समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद और भाजपा के चंद्रभान पासवान के बीच मुकाबला होगा। दोनों ही उम्मीदवार पासी समुदाय से है ऐसे में योगी के एक दांव से अखिलेश और अवधेश प्रसाद का पूरा गणित बिगड़ता नजर आ रहा है।

बिगड़ा अखिलेश का कैलकुलेशन 

मिल्कीपुर सीट पर दलित मतदाता वोट बैंक निर्णायक की भूमिका रही है। यही वजह है समाजवादी पार्टी  सपा पासी समाज से आने वाले अवधेश प्रसाद पर दांव लगाकर सफल होती रही है। लेकिन इस बार भाजपा ने पासी समाज के ही चंद्रभान पासवान को टिकट देकर अवधेश प्रसाद और अखिलेश का कैल्कुलेशन बिगाड़ दिया है।  

क्या है जातीय समीकरण ? 

इस बार योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर  में जाति के चक्रव्यू को तोड़ने के लिए पासी समुदाय के चन्द्रभान को टिकट देकर हवा का रुख बदल दिया है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट कुल  3 लाख 58 हजार मतदाता है। यहां  पासी समाज 55 हजार वोट बताए जा रहे हैं। इसके अलावा 30 हजार मुस्लिम और 55 हजार यादवों की तादाद है।  ये तीनों जातियों का वोट जिस भी पार्टी के पक्ष में पड़ता है उम्मीदवार उसी पार्टी का जीतता है। 

55 हजार पासी या 50 हजार ब्राह्मण कौन है गेम चेंजर ?

वहीं दूसरी ओर मिल्कीपुर में ब्राह्मण समाज के 60 हजार मतदाता हैं। वहीं क्षत्रिय और वैश्य समुदाय के 45 हजार वोट है। कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार हैं। इनमें से अधिकांश भाजपा के वोट बैंक है। लेकिन ये वोट बैंक जीत के लिए नाकाफी है। लोकसभा चुनाव में पासी,मुस्लिम और यादव के साथ मोर्य और पाल जाती के वोट भी सपा के साथ चले गए। इसी कारण भाजपा को अयोध्या में हार का सामना करना पड़ा। 
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अयोध्या की हार में मिल्कीपुर की थी बड़ी भूमिका

2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को तीसरी बार बहुमत मिला लेकिन अयोध्या की हार ने जीत के जश्न में खलल डाल दिया था। अयोध्या में हार के बाद कई स्तर के सियासी मंथन के बाद अलग-अलग कारण बताए गए। लेकिन भाजपा की हार में मिल्कीपुर की बड़ी भूमिका रही थी। लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर से भाजपा को 87,879 वोट मिले जबकि सपा को 95,612 वोट मिले थे। सपा को इस क्षेत्र से करीब 8 हजार वोटों की बढ़त मिली थी। 

मिल्कीपुर में भाजपा का रिकॉर्ड खराब, सपा का स्ट्राइक रेट शानदार  

मिल्कीपुर में अबतक दो बार उपचुनाव हुए हैं ,1998 और 2004 तीसरी बार 2025 में होने जा रहा है। 1998 उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार होने के बावजूद भाजपा के उम्मीदवार को मिल्कीपुर उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं 2004 के चुनाव में भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी। दोनों बार के उप चुनाव सपा जीतने में कामयाब रही थी।
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युवा और दलित को साधने की कोशिश 

मिल्कीपुर से भाजपा के चंद्रभान पासवान को टिकट मिलने का आधार उनकी युवाओं में लोकप्रियता को बताया जा रहा है। बीजेपी संगठन की ओर से कराए गए सर्वे की रिपोर्ट हाईकमान के फैसले का आधार बनी। चन्द्रभान पासवान दलित युवाओं में अच्छी पकड़ रखते हैं। यही कारण है कि दो पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी के साथ परिवहन के उपआयुक्त सुरेंद्र कुमार को भी पीछे छोड़ दिया। 

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