वही खुद को मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर ( Bahadur Shah Jafar ) का वंशज बताने वाले राजकुमार हबीबुद्दीन तूसी ( Prince Habibuddin Tusi ) ने एक बड़ा बयान दिया है . प्रिंस तूसी ( prince Tusi ) ने कहा है कि वह चाहते हैं पहले उस विवादित भूमि को उन्हें सौंपा जाना चाहिए ,क्योंकि मुगल बादशाह बाबर ( Mugal Badshah Babar ) ने सन 1529 में बाबरी मस्जिद बनाई थी और वह उसी बाबर ( Babar ) के वंशज हैं . उनका कहना है कि उस जमीन के असली हकदार वही है , अगर ऐसा होता है तो वह देश के करोड़ों हिंदुओं की जन भावनाओं का ध्यान रखते हुए पूरी की पूरी जमीन राम मंदिर के लिए देंगे . इतना ही नहीं राम मंदिर निर्माण के लिए प्रिंस तूसी सोने की ईंट भी दान करेंगे . प्रिंस तूसी का यह भी कहना है कि इस संबंध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी लेकिन अभी तक उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार नहीं हुआ है .
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वीडियो में देखें राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में पहुंचकर मुस्लिमों ने किया कुछ ऐसा की लोग रह गए हैरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या में पनप रही है ऐसी आबोहवा जिस से मजबूत हो रही दोनों सम्प्रदायों के रिश्तों की डोर
कारसेवकपुरम कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए रखे पत्थरों पर जमी काई साफ करते हुए मुस्लिम बबलू खान ने कहा कि जितना हिंदू का राम पर हक है उतना हक मुसलमानों का भी है। कुछ कट्टरपंथी लोगों ने समाज को बरगलाने का काम किया है। हिंदू और मुस्लिम को भड़काने का काम किया है। मोहम्मद अशफाक अहमद ने कहा कि हम राम को अपना पैगम्बर मानने वाले हैं और विश्वास है कि जल्द से जल्द देश के विकास के लिए जैसे जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई है कि पूरे देश में एक ही कानून हो वैसे ही अयोध्या में राम का मंदिर भी बनेगा .मुस्लिम समुदाय से जुड़े आफाक अहमद ने कहा कि जम्मू कश्मीर के रहने वाले लोग भी हिंदुस्तानी थे और अब वह पूरी तरह से आजाद हो चुके हैं। कश्मीरी घुट-घुट कर जी रहे थे लेकिन अब कश्मीर में विकास की गंगा बहेगी .बताते चलें कि प्रिंस तूसी अकेले ऐसे मुस्लिम नहीं है जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की वकालत की है. बल्कि देश के कई इलाकों में कई बड़े मुस्लिम नेताओं ने भी जन भावनाओं का हवाला देते हुए उस स्थान पर राम मंदिर निर्माण की ही वकालत की है . अब देखना यह है कि बदले हुए हालात में अयोध्या विवाद में क्या फैसला आता है ,क्या राम लला का मंदिर बन पाएगा या सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी कुछ ऐसा ही होगा जिसे स्वीकार कर पाना दोनों पक्षों के लिए आसान नहीं होगा .