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अयोध्या

श्री रामलला की चल-अचल मूर्ति को लेकर संतों में मतभेद, जाने पूरा मामला

श्री राम जन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन राम मंदिर में भगवान श्री राम लला की दो तरह की मूर्ति को स्थापित किए जाने को लेकर संतो में शुरू हुआ मंथन, ट्रस्ट वास्तु शास्त्री व अन्य विद्वानों से भी ले रहा राय

अयोध्याApr 24, 2022 / 02:42 pm

Satya Prakash

श्री रामलला की चल-अचल मूर्ति को लेकर संतों में मतभेद, जाने पूरा मामला

श्री रामलला की चल-अचल मूर्ति को लेकर संतों में मतभेद, जाने पूरा मामला

अयोध्या. राम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला की चल-अचल मूर्ति लगाए जाने को लेकर अयोध्या के साधु संतों के बीच मंथन शुरू हो गया है। तो वहीं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मूर्ति को स्थापित किए जाने के लिए वास्तु शास्त्री व अन्य विद्वानों से भी राय ले रहे हैं। लेकिन इस बीच अयोध्या के साधु-संतों के बीच मतभेद भी दिखाई दे रहा है जहां कई साधु ट्रस्ट के इस फैसले पर सहमत हैं तो वही राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सहित कई अन्य संत ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है। और कहा कि भगवान का वह विग्रह जो 70 वर्षों तक कैद में रहा और हर मुसीबतों का सामना किया हो उसे चल मूर्ति कद रुप में कैसे विराजमान कराएंगे।
राम मंदिर में रामलला की मूर्ति को स्थापित किए जाने के लिए संतों की राय

राम मंदिर का निर्माण होने के साथ ट्रस्ट भगवान के गर्भगृह में एक बड़ी मूर्ति को स्थापित करना चाहती है। या मूर्ति अचल होगी यानी की मूर्ति की स्थापना होने के बाद से हटाया या उठाया नहीं जा सकता। संतों2 की माने तो अयोध्या के सभी मंदिरों में इस तरह से जो मूर्तियों को स्थापित किया जाता है जो चल और अचल होती हैं यह परंपरा सदियों पुरानी है जिससे भगवान के उत्सव को भव्यता के साथ मनाई जाने व उनकी शोभायात्रा निकालने के लिए चल मूर्तियों को गर्भगृह से निकाला जा सके। तो वही ट्रस्ट के मुताबिक मंदिर निर्माण होने के बाद एक लाख से अधिक श्रद्धालु रामलला का दर्शन करने पहुंचे वर्तमान में अस्थाई मंदिर में विराजे भगवान श्री रामलला की प्रतिमा बहुत ही छोटी है दूर से देखने पर उनका दर्शन स्पष्ट नहीं हो पाता इसलिए बड़ी प्रतिमा को स्थापित करने से सभी भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होगी। उनके मुताबिक इसी प्रकार से कई अन्य मुद्दों को लेकर अयोध्या के साधु संतों से राय ली जा रही है जिसमें वास्तु शास्त्र व अन्य विद्वान भी अपनी राय रख रहे हैं।
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास में ट्रस्ट के फैसले पर जताई आपत्ति

श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि वर्तमान में जिस श्री रामलला की पूजा अर्चना किया जा रहा है। उन्हें अचल मूर्ति के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। ट्रस्ट के द्वारा बड़ी मूर्ति लगाने का फैसला उचित नहीं है 1949 से इन्हीं रामलला की पूजा अर्चना होती आ रही है। और यही रामलला 70 वर्षों तक मुकदमा लड़े और जीते भी आज उनके नाम पर ही करोड़ों दान आया है। इन्हीं के नाम मंदिर भी बन रहा है ऐसे में इन्हें अचल मूर्ति का दर्जा दिया जाना चाहिए। लेकिन इन्हें उत्सव की मूर्ति के रूप में स्थापित करने की बात ट्रस्ट कह रहा है यह सही नहीं है।
ट्रस्ट के फैसले पर सहमति दी के अयोध्या के कई संत

राम वल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास के मुताबिक मूर्ति विशाल और भव्य व करो राम भक्तों की भावनाओं के अनुरूप होनी चाहिए उन्होंने कहा कि राम मंदिर में चल और अचल दोनों प्रकार की इकरा स्थापित होगा तो चल विग्रह को उत्सव में गर्भ ग्रह से बाहर निकालना भी संभव होगा। तो वहीं झुनकी घाट मंदिर के महंत करुणानिधान शरण के मुताबिक राम मंदिर ट्रस्ट का फैसला ठीक है बड़ी मूर्ति स्थापित होगी तो भक्तों को आसानी से अपने आराध्य का दर्शन प्राप्त होगा। मूर्ति की भव्यता ऐसी होनी चाहिए कि भक्त एकटक निहारते रह जाएं और शास्त्रों में भी राम जी का जिस रूप में वर्णन किया गया है। उसी तरह दर्शन भक्तों को मिलनी चाहिए।

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