इन शहरों में नहीं चलेंगे पुराने डीजल वाहन
राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, कोटा, अलवर और जोधपुर में फिलहाल पुराने वाहनों पर बैन लगाया गया है, और यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीजल से चलने वाले 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों के प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी करने के बाद लिया गया। पुराने डीजल वाहन मालिकों को इन्हें चलाने के लिए जिला परिवहन अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र और परमिट भी जारी नहीं किए जाएंगे। यानी ऐसे वाहनों को स्क्रैप कराने क अलावा दूसरा कोई रास्ता अपनाना कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा।
दिल्ली में भी बैन पुरानी पेट्रोल और डीजल कार
ध्यान दें, इस फैसले के बाद डीजल वाहनों की मांग निश्चित रूप से प्रभावित होगी क्योंकि 7-8 साल से अधिक पुरानी कारों के खरीदार कम होंगे। वहीं उपभोक्ता बेहतर माइलेज और पावर के कारण पेट्रोल की तुलना में डीजल कारों को ज्यादा खरीदते हैं, और अब सिर्फ 10 साल में वाहन खत्म होने के फैसले के साथ उन्हें डीजल वाहनों को खरीदनें से पहले सोचना होगा।
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एनजीटी के मुताबिक डीजल कारें दिल्ली में कुल कारों का लगभग एक तिहाई हिस्सा हैं और लगातार बढ़ती प्रदूषण समस्या में प्रमुख योगदान देती हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए काफी है? हालांकि पुराने वाहनों पर लगने वाली रोक का सबसे ज्यादा असर ग्राहकों पर पड़ेगा। क्योंकि आपकी पुरानी डीजल कार की कीमत हर दिन कम हो रही है।
Vehicle Scrappage Policy का विकल्प
व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी जिसका उद्देश्य प्रदूषण और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पुराने वाहनों को सड़क से हटाना है, देश में 1 अप्रैल से लागू हो चूकी है। इस स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत वाहन मालिक 15 साल बाद रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद अपने पुराने वाहनों को स्क्रैप कर सकेंगे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है, कि आप दिल्ली में पुराने वाहनों को फिर से पंजीकृत नहीं कर सकते हैं, लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में पुराने वाहनों के पुन: पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए वाहन को automated centres के माध्यम से फिटनेस परीक्षण से गुजरना होगा। इसके साथ ही, नए वाहन पंजीकरण की तुलना में पुन: पंजीकरण शुल्क 8 गुना अधिक होगा।