फास्ट चार्जिंग वाली सुविधाएं बहुत कम
एसबीआइ कैप्स की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र की तरफ से ईवी पर जीएसटी की दर 5% करने राज्य सरकारों की तरफ से सब्सिडी और रोड टैक्स में छूट देने आदि से बहुत सारे ग्राहक ऐसे हैं जो अपनी पहली कार ही ईवी ले रहे हैं। लेकिन चार्जिंग सुविधाएं इसके साथ कदमताल नहीं कर पा रही है। देशभर में 25,000 के करीब चार्जिंग स्टेशन लग चुके हैं लेकिन इनमें फास्ट चार्जिंग वाली सुविधाएं बहुत ही कम हैं। सरकारी तेल कंपनियों का दावा है कि उनके हर पांचवें पेट्रोल पंप पर ईवी चार्जिंग सुविधा लग चुकी है। देश के 17,900 पेट्रोल पंपों पर ईवी चार्जिंग सुविधा है। इसके बावजूद ईवी कार चालक को दो से चार घंटे चार्जिंग स्टेशनों पर व्यतीत करना पड़ रहा है। साथ ही तेल कंपनियों के अधिकारी यह भी बताते हैं कि उनकी अधिकांश चार्जिंग स्टेशन का कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
इतना करना होगा निवेश
दो और तीन पहिया वाहनों में ईवी अपनाने की गति अधिक है, क्योंकि इनके लागत कम हैं। बैटरियां छोटी हैं और इनका वाणिज्यिक उपयोग हो रहा है। इसके अलावा हटाने योग्य बैटरियां और घरेलू चार्जिंग विकल्पों ने निम्न-आय वाले राज्यों में इनकी तेजी से पैठ बनाई है। रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2030 तक 100 गीगावाट की ईवी बैटरी क्षमता प्राप्त करने के लिए 500-600 अरब रुपए निवेश की आवश्यकता होगी। भारत में वर्तमान में 25,000 से अधिक चार्जर हैं, लेकिन इनमें से केवल एक छोटा हिस्सा ही फास्ट चार्जर्स है। सार्वजनिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को 2030 तक 90,000 यूनिट्स तक बढ़ाने के लिए 200 अरब रुपए के निवेश आवश्यक होगी।