केंद्रीय बजट 2025-26 MSME सेक्टर की बड़ी उम्मीदें, क्या सरकार देगी राहत का तोहफा?
Union Budget: केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले 2025-26 के बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की प्रमुख चुनौतियों और विकास संभावनाओं पर फिर से चर्चा हो रही है। आइए जानें इस विषय से जुड़ी पूरी खबर।
Union Budget: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले बजट 2025-26 के संदर्भ में, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के सामने मौजूद प्रमुख चुनौतियां और इनकी विकास संभावनाएं एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (PwC) की हालिया रिपोर्ट में एमएसएमई क्षेत्र की मुख्य समस्याओं और उनकी संभावित समाधान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
MSME क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियां (Union Budget 2025)
1. औपचारिकता की कमी और सरकारी सहायता से वंचितता
भारत के अधिकांश एमएसएमई गैर-कृषि और गैर-पंजीकृत हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं और सहायता का लाभ नहीं मिल पाता। यह अनौपचारिकता उनके विकास में एक बड़ी बाधा है। 2. क्रेडिट तक सीमित पहुंच और उच्च उधारी लागत
एमएसएमई के पास अक्सर क्रेडिट इतिहास का अभाव होता है और वे संपार्श्विक (कॉलेटरल) प्रदान करने में असमर्थ होते हैं। इससे उन्हें ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, उच्च ब्याज दरें और ऋण चुकाने की सीमित क्षमता उनके कार्यशील पूंजी प्रबंधन और विस्तार के अवसरों को बाधित करती हैं।
3. ब्रांडिंग और मार्केटिंग में कमजोरी एमएसएमई सूचनात्मक विषमताओं, उपभोक्ता दृश्यता की कमी और कमजोर ब्रांडिंग और विपणन क्षमताओं का सामना करते हैं। इसके कारण उनके लिए अपने उत्पादों और सेवाओं को बाजार में स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
4. उत्पाद डिजाइन और तकनीकी उन्नयन की उच्च लागत अनुसंधान और विकास (R&D), उत्पाद डिजाइन, तकनीकी अधिग्रहण और उत्पादन अपग्रेड की उच्च लागत एमएसएमई को उनके उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता लाने और उन्हें उन्नत बनाने से रोकती है।
उद्योग की मांगें
वर्तमान चुनौतियों के समाधान के लिए एमएसएमई क्षेत्र ने कुछ विशेष मांगें सरकार के समक्ष रखी हैं। 1. सस्ती वित्तीय सहायता
एमएसएमई के लिए वित्तपोषण का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है। भारत में 10% या उससे अधिक वार्षिक ब्याज दर पर ऋण लेना एमएसएमई के लिए चुनौतीपूर्ण है। सस्ती ब्याज दरों और दीर्घकालिक वित्तीय योजनाओं को बढ़ावा देना इस क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
2.लघु-स्तरीय संचालन और निवेश आकर्षण एमएसएमई का छोटा परिचालन और कम मुनाफा उन्हें निवेशकों और वित्तीय संस्थानों के लिए कम आकर्षक बनाता है। इस समस्या के समाधान के लिए सामाजिक रूप से उत्तरदायी निवेश को बढ़ावा देने वाली योजनाओं और विदेशी विशेषज्ञता को लाने की आवश्यकता है।
3. सूचना और व्यापार संबंधों तक पहुंच एमएसएमई को सूचनाओं और व्यापार संपर्कों तक सीमित पहुंच का सामना करना पड़ता है। इस चुनौती से निपटने के लिए बाजार-आधारित हस्तक्षेप, जैसे प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, वैश्विक बी2बी प्लेटफॉर्म और जिला-स्तर पर निर्यात त्वरण केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है। इससे एमएसएमई निर्यात में वृद्धि होगी।
4. औद्योगिक और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचा एमएसएमई के समर्थन के लिए ठोस औद्योगिक, सामाजिक और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। “रेजिंग एंड एक्सेलरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस (RAMP)” जैसे कार्यक्रमों को राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के साथ जोड़ा जाना चाहिए ताकि एमएसएमई विकास हब स्थापित किए जा सकें।
बजट 2025-26 में सरकार से अपेक्षाएं
एमएसएमई क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था (Union Budget 2025) की रीढ़ माना जाता है। यह न केवल लाखों रोजगार प्रदान करता है, बल्कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। सरकार से अपेक्षा है कि वह इस क्षेत्र के लिए निम्नलिखित कदम उठाएगी:
कर रियायतें और प्रोत्साहन: एमएसएमई के लिए कर राहत और नई योजनाओं की घोषणा की जा सकती है, जिससे उनके संचालन लागत को कम किया जा सके। डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: एमएसएमई को डिजिटल प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स के साथ जोड़ने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश किया जाना चाहिए।
नवाचार और तकनीकी उन्नयन के लिए सहायता: अनुसंधान और विकास के लिए विशेष फंडिंग और तकनीकी उन्नयन के लिए रियायती योजनाएं लागू की जा सकती हैं। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन: महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए विशेष क्रेडिट योजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम पेश किए जाने चाहिए।
MSME क्षेत्र आर्थिक बढ़ोतरी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण
MSME क्षेत्र भारत की आर्थिक बढ़ोतरी और रोजगार सृजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बजट 2025-26 (Union Budget 2025) से उम्मीद है कि वह इस क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करेगा और इसे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आवश्यक संसाधन और समर्थन प्रदान करेगा। सरकार और उद्योग के बीच सहयोग से एमएसएमई क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है।
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