दूसरी तरफ, जहां एक ओर अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव ( US President Election ) होने में अब बस चार महीने शेष रह गए हैं और डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump ) एक बार फिर से सत्ता में वापसी के लिए लगातार कोशिश में जुटे हैं, जिसमें वे चीन के खिलाफ कठोर नीति अपनाने का तरीका भी इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं राष्ट्रपति शी जिनपिंग ( president Xi Jinping ) भी 2022 में अपने नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। हालांकि चीनी की 1.4 अरब नागरिकों ने जिनपिंग को वोट नहीं दिया है और अब ये देखना दिलचस्प होगा कि शी जिनपिंग के अनिश्चितकालीन शासन के फैसले को सीनियर कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ( Senior communist party leaders ) से कितना समर्थन मिलता है।
China: राष्ट्रपति Jinping के खिलाफ लोगों ने खोला मोर्चा, Social Media पर पूछ रहे हैं सवाल
दरअसल, शी जिनपिंग ने आजीवन राष्ट्रपति रहने के लिए संविधान में संशोधन किया है और चीन के अंदर खुद को एक मजबूत नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया है, और अब वे चीन से बाहर खुद को सर्वशक्तिमान दिखाने के लिए वे दुनिया को चुनौती दे रहे हैं।
यही कारण है कि शी जिनपिंग ने दक्षिण चीन सागर ( South China Sea ) में जोरदार दावा पेश कर खुद के मजबूत होने का सबूत पेश किया है। साथ ही साथ हांगकांग पर चीन की पकड़ को मजबूत करने और सैन्य उपकरणों को उन्नत करने के लिए अरबों खर्च करने जैसे मिशाल पेश की है। इन सब कार्यों के जरिए शी ने चीन के सबसे शक्तिशाली नेता रहे माओत्से तुंग ( Maotse Tung ) के बाद खुद को देश का सबसे ताकतवर नेता के तौर पर समर्थन हासिल किया है और अब दुनिया के सामने एक चुनौती के तौर पर पेश आ रहे हैं।
चीन में सियासी संकट!
आपको बता दें कि कई ऐसी मीडिया रिपोर्ट में ये खबरें सामने आ चुकी है कि चीन की आम जनता शी जिनपिंग के कार्यशैली से नाराज हैं। वे लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में शी जिनपिंग ने घरेलू स्तर पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए अब वे बाहर मुखर हो रहे हैं और चीन ने दशकों तक यही प्रक्रिया अपनाया है।
इसलिए हाल के दिनों में चीन के साथ पड़ोसी देशों के हितों, मूल्यों और संवेदनाओं के साथ टकराव का एक आवेग देखने को मिल रहा है। ‘इंडो-पैसिफिक एम्पायर: चाइना, अमरीका एंड द कॉन्टेस्ट फॉर द वर्ल्ड्स पिविटल रीजन’ के लेखक व ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रोरी मेडलक ने कहा कि जिस तरह से शी जिनपिंग ने चीनी राजनीतिक प्रणाली को फिर से शुरू किया है, वह इसे और खुद की मदद नहीं कर सकता है। यह स्पष्ट रूप से लंबे समय में चीन के हितों के लिए बहुत हानिकारक है और यह वास्तव में हम सभी के लिए बहुत हानिकारक है।
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आपको हाल के समय में चीन ने भारत समेत तमाम पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को लेकर आक्रमाक रणनीति अपनाई है। इतना ही नहीं, दक्षिण चीन सागर में अपने दावे को मजबूती के साथ पेश करके दुनिया को एक चुनौती दी है। अमरीका और चीन के बीच व्यापक स्तर पर तनाव बढ़ गया है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, वियतनाम आदि तमाम देशों के साथ चीन का तनाव बढ़ गया है। समझा जा रहा है कि शी ग्लोबल स्तर पर खुद को सर्वशक्तिमान नेता के तौर पर छवि बनाने के लिए ये सब कर रहे हैं।