करीब-करीब सभी एक्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एनडीए ) को बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। अब भाजपा की जीत का मतलब है कि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। एक सवाल जो सबसे महत्वपूर्ण है कि यदि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे तो पाकिस्तान के साथ भारत की रणनीति क्या होगी? क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान कई बार पाकिस्तान का जिक्र भी आया और इसी के संदर्भ में राष्ट्रवाद का मुद्दा भी छाया रहा। तो समझने की कोशिश करते हैं कि किन विवाद के मुद्दों पर भारत-पाकिस्तान के संबंध कैसे रहेंगे?
23 को दिल्ली का खत्म होगा इंतजार, मुंबई में स्वागत को मोदी लडडू तैयार
कश्मीर मुद्दे पर क्या होगा नई सरकार का स्टैंड
कश्मीर का मुद्दा भारत-पाकिस्तान के लिए एक अहम मुद्दा है। दोनों ही देश इसको लेकर तमाम तरह की दावे करते हैं, पर समाधान की दिशा में आगे नहीं बढ़ सके हैं। नरेंद्र मोदी की सरकार का स्पष्ट नीति है कि कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता है। इमरान खान को अच्छी तरह से यह मालूम भी है। मोदी के सरकार के फिर से सत्ता में आने से कश्मीर नीति में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ेगी। विश्व के हर मंच से पाकिस्तान कश्मीर राग अलापता रहता है, लेकिन मोदी सरकार ने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। इसलिए कश्मीर का मसला केवल द्विपक्षीय वार्ता के साथ ही सुलझाया जा सकता है। इस मामले पर दोनों देशों के संबंध में दूरियां बनी रह सकती है।
81 प्रतिशत लोगों का मानना है कि संवैधानिक संस्थाओं के नाम पर सियासत हो रही है?
आतंकवाद पर मुश्किल में इमरान
आतंकवाद पर पाकिस्तान को मोदी सरकार ने विश्व के सामने बेनकाब किया है। ऐसा पहला अवसर आया जब पाकिस्तान को यह स्वीकार करना पड़ा कि उसकी धरती में आतंकवाद हैं और आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि पाकिस्तान ने इस बात को दोहराया कि आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ने में भारत की हर संभव मदद करेगा। नरेंद्र मोदी सरकार का स्टैंड साफ है कि आतंकवाद और वार्ता दोनों साथ-साथ नहीं चल सकता है। लिहाजा भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता बंद कर दी है। आतंकवाद को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार सख्त रही है। कश्मीर में अब तक ऑपरेशल ऑल आउट के तहत सैंकड़ों आतंकियों का सफाया किया जा चुका है। जबकि इमरान खान आतंकवाद के मसले पर दवाब में दिखते रहे हैं। अभी हाल ही में मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने के बाद से इमरान खान दबाव में आ गए हैं। लिहाजा भारत में मोदी सरकार की वापसी का मतलब है कि इमरान खान आतंकवाद के मसले पर बेनकाब होता रहेगा, जब तक कि वह भारत के साथ अच्छे संबंधों को बहाल करने की दिशा में आतंकवादियों पर कार्रवाई नहीं करता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हो सकता है पाकिस्तान सहयोगात्क रवैया अपनाते हुए भारत के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करे।
Exit Poll के बाद ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा शेयर बाजार, 1422 अंक झूमकर बंद हुआ सेंसेक्स
बालाकोट के बाद की चुनौतियां
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक ने इमरान खान की पोल-पट्टी खोल कर दुनिया के सामने रख दी। बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान आतंकियों पर कार्रवाई करने को विवश हुआ है। क्योंकि दुनिया के सामने यह प्रमाणित हो गया कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है। आर्थिक कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को बाहर निकालने के लिए दुनिया से आर्थिक मदद की आश लिए इमरान खान आतंकवादियों पर कार्रवाई करने को मजबूर है। कोई देश या संगठन आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान को आर्थिक मदद नहीं करना चाहता। लिहाज अब पाकिस्तान ने अपने रूख में थोड़ा बदलाव किया है। बालाकोट स्ट्राइक के बाद मोदी सरकार की ताकत का एहसास भी पाकिस्तान को हो गया है। तो ऐसे में मोदी सरकार की वापसी का मतलब है कि आतंकवाद पर कार्रवाई करने के लिए इमरान खान पर दबाव बनाया जा सकता है।
Read the Latest World News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले World News in Hindi पत्रिका डॉट कॉम पर. विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर.