कूटनीतिक कोशिशों से मिला तीन सदस्यों का समर्थन
आर्थिक संकट में संघर्ष कर रहा पाकिस्तान FATF के सदस्य देशों से समर्थन हासिल करने के लिए लगातार कूटनीतिक कोशिशें करता रहता है। इसी का नतीजा है कि उसे ग्रे लिस्ट से ब्लैकलिस्ट में पहुंचने से बचने की राहत मिली है। दरअसल, FATF चार्टर के अनुसार ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए कम से कम तीन सदस्य देशों का समर्थन मिलना जरूरी है। बता दें कि पाकिस्तान को तुर्की, चीन और मलेशिया से समर्थन मिला था।
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इस वजह से ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था पाकिस्तान
हालांकि, कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि इमरान सरकार को मिली यह राहत क्षणिक है। पाकिस्तान पर खतरा अभी तक टला नहीं है, क्योंकि FATF अक्टूबर में अपना आधिकारिक निर्णय सुनाएगी। इस्लामाबाद जून 2018 से ही FATF की रडार पर है। दरअसल, एशिया-पैसेफिक ग्रुप (APG) ने अपनी रिपोर्ट में पाक के आतंकी कनेक्शन को उजागर किया था। इसके बाद ही FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था। APG ने पाकिस्तान की वित्तीय व्यवस्था और सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन किया था, इसके बाद अपनी रिपोर्ट में आतंकी संगठनों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े खतरे को उजागर किया था।
27 में से 18 शर्तें ही पूरी कर पाया है पाकिस्तान
बता दें कि पाकिस्तान FATF और APG के 27 सूत्रीय एक्शन प्लान को पूरा नहीं कर पाया था। मई 2019 तक डेडलाइन वाले इस एक्शन प्लान में पाकिस्तान ने 27 में से 18 शर्तें ही पूरी की थी। जिस कारण संस्था ने पाक के प्रदर्शन को असंतोषजनक करार दिया था। वहीं, पाक को मिले इस समर्थन के बाद विश्लेषकों का कहना है कि उसे जो राहत मिली है, वह बहुत ही अस्थायी है।
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इस तरह मिल सकता है छुटकारा
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अब पाक को दूसरे सदस्य देशों से मदद जुटाने के लिए भी थोड़ा वक्त मिल जाएगा। बता दें कि FATF की ग्रे लिस्ट से छुटकारा पाने के लिए पाक को कुल 36 में से 15 वोटों की जरूरत है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाक के लिए यह समर्थन जुटा पाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं, दूसरी अहम बात यहा है कि पाक देशों की मदद तो जुटा सकता है, लेकिन इसके बावजूद उसे एक्शन प्लान के सभी मानकों पर भी खरा उतरना होगा।