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चीन ने जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताया कैंप में रखकर दी जा रही शिक्षा बीते साल एक रिपोर्ट में सामने आया कि चीन के शिनजियांग प्रांत में बड़ी संख्या में उइगर मुस्लिमों को एक खास तरह के कैंपों में नजरबंद कर रखा गया है। इन कैंपों की संख्या लाखों में है। इन खास कैंपों में करीब 10 लाख उइगर मुस्लिमों को कैद करके रखा गया है और इन्हें दोबारा शिक्षा दी जा रही है। चीनी सैनिकों, पुलिस और उइगर मुस्लिमों के अलावा किसी और का इन कैंपों तक जाना बेहद मुश्किल है, क्योंकि यहां पर बाहरी लोगों के आने पर पाबंदी है। कहा जा रहा है कि उइगर मुस्लिमों को यहां पर चीनी संस्कृति और रहन-सहन के तौर-तरीेके सिखाए जा रहे हैं। हालांकि,चीन इन बातों को नकारता रहा है।
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अमरीकी दूतावास ने श्रीलंकाई सरकार को दी चेतावनी, आने वाले हफ्ते में और हो सकते हैं हमले चीन के उइगर समुदाय का सच इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहते हैं। इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है। तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की आबादी करीब एक करोड़ के आसपास है। क्षेत्र में इस समुदाय की संख्या पहले काफी अधिक थी। इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक थी। मगर चीन के अपने समुदाय हान को बढ़ावा दिया। यहां उनकी संख्या बढ़ाई और उइगर को समाज से किनारे करने का प्रयास किया।
चीनी सरकार के साथ तनाव की वजह शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ चला रहे हैं, जिसका मकसद चीन से अलग होना है। दरअसल, 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान,जो अब शिनजियांग है, को एक अलग राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी। बाद में उसी साल यह चीन का हिस्सा बन गया। इस क्षेत्र की आजादी के लिए यहां के लोगों ने काफी संघर्ष किया। उस समय आंदोलन को मध्य एशिया में कई मुस्लिम देशों का समर्थन भी मिला। मगर बाद में चीनी सरकार के कड़े रुख के आगे किसी की नहीं चली।
ये भी पढ़े: अमरीका: जो बिडेन लड़ेंगे 2020 का राष्ट्रपति चुनाव, सोशल मीडिया के जरिए की घोषणा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती चीन लगातार इस क्षेत्र में हान चीनियों की संख्या बढ़ा रहा है। इस समुदाय का कहना है कि चीनी सरकार यहां पर हान समुदाय को बढ़ावा दे रही है ताकि हमें दबाया जा सके। चीनी सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के कारण उन्हें हर मामले में पीछे रखा जाता है। हान समुदाय को मजबूत करने के लिए चीन की सरकार उन्हें सरकारी नौकरियों में ऊंचे पद दे रही है। वहीं उइगर समुदाय के लोगों को दोयम दर्जे की नौकरियां मिल रही हैं। दरअसल चीन के लिए यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है और यहां पर वह उइगर समुदाय को उठता हुआ नहीं देख सकता है। चीनी सरकार ऊंचे पदों पर विद्रोही रुख वाले उईगरों को बिठाकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
हमेशा तनाव बना रहता है चीन की नीति के कारण इस क्षेत्र में हमेशा तनाव बना रहता है। यहां पर हान और उइगर समुदाय में कई बार झड़पें हो चुकी हैं। 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हुई हिंसा में 200 लोग मारे गए जिनमें अधिकांश हान चीनी थे। इसी साल उरुमची में ही हुए दंगों में 156 उइगुर मुस्लिम भी मारे गए थे। 2010 से अब तक यहां पर कई हिंसक झड़पें हो चुकी हैं।
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