उल्लेखनीय है कि मोहम्मद शमी व उनके परिजनों के खिलाफ हसीन जहां ने दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कोलकाता में केस दर्ज कराया था। इसके बाद 28 अप्रैल 2019 को हसीन जहां बेटी आयरा के साथ डिडौली थानाक्षेत्र स्थित सहसपुर अलीनगर अपनी ससुराल पहुंची थीं। उस दौरान घर में शमी का परिवार भी मौजूद था, जिन्होंने हसीन जहां द्वारा पुलिस से जबरन घर में घुसने की शिकायत की थी। इसके बाद अचानक आधी रात डिडौली पुलिस पहुंची और हसीन जहां को बेटी आयरा के साथ अपने साथ ले गई। पुलिस ने दोनों को रातभर जिला अस्पताल में रखा। सुबह शमी के परिजनों ने हसीन के खिलाफ शांतिभंग में केस दर्ज कराया। इसके बाद हसीन जहां को एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें जमानत मिल गई।
वहीं, इस मामले में हसीन जहां ने आरोप लगाया था कि पुलिस बेवजह उन्हें आधी रात में गाउन में ही घर से उठाकर ले गई। आरोप है कि उन्हें रातभर भूखे-प्यासे बच्ची के साथ जिला अस्पताल के बंद कमरे में रखा गया। जहां पूरी रात बेटी व उन्हें मच्छर काटते रहे। जब उन्होंने पुलिसकर्मियों से बाहर निकालने की बात कही तो पुलिसकर्मियों ने अभद्रता की। हसीन जहां ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ये आरोप लगाते हुए पुलिस के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने अमरोहा पुलिस को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। इस मामले में पुलिस ने भी कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत कर दिया है।
अब हसीन जहां का आरोप है कि मोहम्मद शमी ने पुलिस की तरह ही अधिवक्ताओं पर भी दबाव बनाया है। इस कारण उनके अधिवक्ता ने खराब स्वास्थ्य की बात कहते हुए केस लड़ने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि अधिवक्ता कार्रवाई करवाने के स्थान पर बहाने बना रहे हैं। उनका कहना है कि इससे शमी की दखल की पुष्टि होती है। इसलिए अब वह खुद हाईकोर्ट जाकर अपनी बात रखेंगी। वह बिना अधिवक्ता के खुद पुलिस से जिरह करेंगी। वहीं, मोहम्मद शमी के भाई हसीब ने हसीन जहां के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि शमी ने किसी पर कोई दबाव नहीं बनाया।