सरगुजा जिला अंतर्गत एक युवक अपनी पत्नी, 4 माह की दूधमुंही बेटी व माता-पिता के साथ 15 जुलाई की सुबह घर पर था। सुबह 9.30 बजे पड़ोस में रहने वाला युवक सज्जन 32 वर्षीय आया था। सभी गांव की अन्य दो महिलाओं के साथ खेत में रोपा लगाने जा रहे थे। इस दौरान सज्जन पेट दर्द का बहाना बनाकर घर पर ही रुक गया।
इस दौरान युवक की पत्नी व 4 माह की बेटी घर पर ही थे। शाम करीब 5 बजे मोबाइल पर कॉल कर युवक को घर बुलाया गया। उसने आते ही बेटी के बारे में पत्नी से पूछताछ की तो बताया कि सज्जन उसे गोद में लेकर खेला रहा था। सज्जन से पूछने पर उसने बताया कि उसे यमलोक पहुंचा दिया हूं।
घर के भीतर जाकर देखा तो बच्ची पड़ी हुई थी। फिर उसे तत्काल अस्पताल लाया, यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। पीएम में बलात्कार के बाद मौत की पुष्टि डॉक्टरों ने की थी। 16 जुलाई को मामले की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई गई। इस पर पुलिस ने आरोपी को धारा 376 (क), 376 (क)(ख), 302 तथा पॉक्सो एक्ट 2012 की धारा 5 (ड)/6, 5(झ)/6 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
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न्यायाधीश ने दिया आजीवन कारावासइस केस की सुनवाई पूजा जायसवाल न्यायालय-अपर सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो एक्ट) अंबिकापुर के कोर्ट में हुई। इसमें न्यायाधीश ने आरोपी को शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए आजीवन कारावास व 6 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता राकेश कुमार सिन्हा तथा अभियुक्त पक्ष की ओर से अधिवक्ता ओमप्रकाश सिन्हा ने मामले की पैरवी की।
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न्यायाधीश ने की ये टिप्पणीन्यायाधीश ने सजा सुनाते समय टिप्पणी भी की है। इसमें उन्होंने लिखा है कि ‘मासूम बालिकाओं के साथ लैंगिक अपराध दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में कठोर दंड से दंडित करना न्यायोचित होगा, जिससे न केवल मृतिका बल्कि उसके परिजन को भी न्याय मिल सके बल्कि समाज में भी इसका सकारात्मक संदेश जाए कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार का घृणित कृत्य करने से 100 बार सोचे।
उन्होंने यह भी लिखा कि न्यायालय द्वारा यह अंदाजा लगाया जाना संभव नहीं है कि फूल जैसी मासूम बच्ची जो केवल दूध पीती थी, जो अजनबी का चेहरा पहचानने में भी समर्थ नहीं रही होगी, के साथ अभियुक्त द्वारा ऐसे कृत्य को अंजाम दिया गया होगा, इस दौरान वह कितनी पीड़ा व घुटन से तड़पी होगी। अभियुक्त का यह कथन कि मैने मृतिका को यमलोक पहुंचा दिया है यह शैतानी कृत्य मानवता (Huminity) के निम्रतम स्तर तक पहुंच जाता है।’