इस परियोजना के पूर्ण होने की अवधि 5 वर्ष निर्धारित की गई है। नए रेल लिंक के निर्माण की लागत करीब दस हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस रेल खंड पर ट्रेनों की अधिकतम स्वीकृत गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। सेक्शन के अन्य खंडों की तुलना में यह अधिक गति वाला रेल खंड होगा। यह भारत के सबसे ज्यादा स्पीड वाले रेल खंडों में से एक होगा। अंबिकापुर-अनूपपुर रेल खंड में यह सेक्शन शामिल होगा।
वर्तमान में 95 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाला सेक्शन है, जबकि झारखंड में बरवाडीह गढ़वा, सोननगर खंड 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाला है। इस रेल लाइन को लेकर खास बात यह है कि इसे भारत की आजादी से पहले मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना को वर्ष 1947 में स्वीकृत किया गया था।
शुरुआत में सरनाडीह से बरवाडीह (79.4 किलोमीटर) तक रेल लाइन का निर्माण 1947 में रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसका निर्माण कार्य वर्ष 1947 में शुरू कर दिया गया था। बरवाडीह से सरनाडीह तक कुछ पुलों को बनाने समेत कुछ निर्माण कार्य पूरा हो गया था।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 1950 में इस रेल लाइन का निर्माण कार्य बंद कर दिया गया था। इसके बाद इस आदिवासी इलाके को गुमनामी में छोड़ दिया गया था। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड में पडऩे वाला यह इलाका अत्यधिक अविकसित है, शेष भारत से इसकी कनेक्टिविटी भी बहुत खराब है। यह रेल लिंक कोयला ब्लॉक्स को भी कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगा।
आर्थिक गतिविधियों में होगी बढ़ोतरी
अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन के निर्माण से आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी। इस क्षेत्र के बाक्साइट, ग्रेफाइट, लौह अयस्क जैसे खनिजों की पूरे देश में मांग है। रेल लिंक से जुड़ जाने पर पूरे देश में खनिजों की उपलब्धता की जा सकेगी। बरवाडीह रेल लिंक से पश्चिम के यातायात हेतु वैकल्पिक कनेक्टिविटी मिलेगी। यह रेल लाइन गया, मुगलसराय जंक्शन, पटना स्टेशनों को बरवाडीह रेल रूट के माध्यम से दक्षिण व पश्चिम दिशा के यातायात के लिए वैकल्पिक कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। अंबिकापुर-बरवाडीह के सर्वे में 5 वर्ष की अवधि में इसका निर्माण कार्य पूरा करने की बात का उल्लेख किया गया है।