आखिर में पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर संदेह के आधार पर उसका
अलवर जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया। इसके बाद ही शव परिजनों को सौंपा गया। वहीं, ईएसआईसी अस्पताल प्रशासन ने भी शव देने से पहले परिजन से शपथ पत्र भरवाया।
साइन किए तो पता चला जिंदा है भैरू सिंह
मरीज भैरू सिंह की मौत के बाद शव सुपुर्दगी के दौरान स्टाफ ने साइन कराए तो मृतक के एक परिजन ने भैरू सिंह के नाम से ही साइन कर दिए। स्टाफ के टोकने पर उसने बताया कि मृतक का नाम भैरू सिंह नहीं बल्कि श्याम सुंदर है। ईएसआईसी अस्पताल की चिकित्सा सुविधाओं को लाभ लेने के लिए मरीज को उसके नाम से भर्ती कराया गया था।
उच्चाधिकारियों के निर्देश पर कराया पोस्टमार्टम
एमआईए थाने के हेड कांस्टेबल खेमसिंह ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर उच्चाधिकारियों को सूचित किया। इस दौरान संदेहास्पद मामला होने पर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर मृतक के शव को शनिवार को जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया गया। जहां रविवार को पोस्टमार्टम के बाद मृतक का शव परिजन के सुपुर्द किया गया।
गलत दस्तावेजों से अस्पताल में भर्ती हुआ था मृतक
ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के डीन असीम दास ने बताया कि ईएसआईसी का लाभ लेने के लिए मृतक गलत दस्तावेजों के आधार पर भर्ती हुआ था। बाद में स्थिति बिगड़ने पर उसकी मौत हो गई। इसके बाद परिजनों की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र दूसरे व्यक्ति के नाम पर बनवाने की बात कहने पर मामले का पता चला। परिजनों का कहना था कि मृतक खुद ही अपने भाई के दस्तावेजों से भर्ती हुआ था। यह है पूरा मामला
भैरूसिंह पुत्र महादेव राजपूत निवासी टीटपुर कोठड़ी, तहसील कठूमर नाम के एक मरीज को टीबी की बीमारी के इलाज लिए 30 नवंबर को ईएसआईसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस बीच 13 दिसंबर को इलाज के दौरान मरीज उसकी मौत हो गई। इस पर अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को मौत की सूचना देते हुए मरीज के मौत संबंधी जरूरी दस्तावेज भी तैयार कर लिए।
बाद में शव लेने आए मृतक के एक परिजन ने खुद को भैरू सिंह बताते हुए श्याम सुंदर (30) पुत्र कप्तान सिंह निवासी ग्राम टीटपुर कोठड़ी हाल निवासी सोनावा की डूंगरी के नाम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने को कहा। इसके बाद अस्पताल स्टाफ मृतक का असली नाम और उसकी पहचान को लेकर सांसत में आ गया।