दरअसल, भजनलाल सरकार ने एक राज्य एक चुनाव की घोषणा बजट में की थी। उस दिशा में सरकार कदम बढ़ा रही है। निकायों के चुनाव नवंबर में कराने थे, लेकिन यह नहीं कराए गए। 18 नवंबर को निकायों का कार्यकाल खत्म हो सकता है। यहां भी प्रशासक बैठाने की तैयारी चल रही है। इसी कड़ी में सरपंचों का कार्यकाल जनवरी, 2025 में पूरा हो रहा है। अब तक चुनावी तैयारियां शुरू हो जानी थी, लेकिन वह भी नहीं हुई। जिले की 550 ग्राम पंचायतों में अभी असमंजस का माहौल बना हुआ है।
सरकार पर नेताओं का दबाव
कुछ सरपंचों का कहना है कि अगर चुनाव में देरी है तो उनका कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए ताकि जनता के काम होते रहें। गांवों का विकास बाधित न हो। प्रशासक से काम लेना आसान नहीं होगा। हालांकि निकायों के कार्यकाल बढ़ाने के साथ-साथ सरपंचों के कार्यकाल को भी बढ़ाने की तैयारी चल रही है। निकायों में कई जगह भाजपा के मेयर हैं। बड़ी संख्या में नगर परिषद अध्यक्ष, सरपंच प्रदेशभर में हैं। ऐसे में राजनीतिक रूप से वह भी कार्यकाल बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं।