scriptपीडब्ल्यूडी ने 59.83 करोड़ रुपए के आरओबी की डीपीआर एनडब्ल्यूआर के अनुमोदन के लिए फिर भेजी | Patrika News
अलवर

पीडब्ल्यूडी ने 59.83 करोड़ रुपए के आरओबी की डीपीआर एनडब्ल्यूआर के अनुमोदन के लिए फिर भेजी

राजगढ़-टहला मार्ग पर रेलवे फाटक बार-बार बन्द होने से आमजन परेशान। आवागमन में नहीं मिल रही राहत

अलवरNov 08, 2024 / 04:04 pm

Ramkaran Katariya

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राजगढ़.आरओबी नहीं बनने एवं राजगढ़- टहला मार्ग स्थित रेलवे फाटक के बार-बार बंद होने के कारण वाहन चालकों एवं राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे लोगों को आवागमन में राहत नहीं मिल रही है।
जानकारी के अनुसार पीडब्ल्यूडी राजस्थान जयपुर के चीफ इंजीनियर मोकेश भाटी ने एनडब्ल्यूआर जयपुर के चीफ इंजीनियर को पत्र लिखकर बताया कि राजगढ कस्बे के रेलवे फाटक एलसी 140 पर आरओबी के लिए जीएडी को एनडब्ल्यूआर की ओर से 6 अगस्त 2020 को मंजूरी दी गई थी। साइट की कमी के कारण एलसी- 142 पर आरओबी के पूरा होने के बाद ही निर्माण कार्य निष्पादन संभव है। इस पर उक्त आरओबी 59.83 करोड़ की कॉस्ट एस्टीमेट वाली डीपीआर 26 जून 2024 को एनडब्ल्यूआर को प्रस्तुत की गई और 27 सितम्बर 2024 को याद दिलाया गया, जो एनडब्ल्यूआर के अनुमोदन के अधीन है। उपरोक्त डीपीआर के अनुमोदन के बाद एफडी से ए एंड एफ मंजूरी मांगी। इसके पश्चात्पुनः रेलवे को 9 अक्टूबर 2024 को रिमांइडर किया गया। उन्होंने बताया कि डीपीआर व कंस्ट्रक्शन एस्टीमेट को एलसी-140 के अनुसार अनुमोदित करने के बाद आरओबी के कार्यो के लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति का मामला वित्त विभाग से प्राप्त होगा। उसके बाद निविदा प्रक्रिया के तहत स्वीकृत किया जा सकेगा।
हो जाते हैं वाहन जमा

गौरतलब है कि राजगढ़-टहला मार्ग पर रेलवे फाटक के बार-बार बंद होने के कारण सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं व राहगीरों की भीड़ तथा वाहन जमा हो जाते हैं। बांदीकुई एवं अलवर की ओर से रेलगाडिय़ों के आने तथा जाने के चलते फाटक काफी देर से खुल पाता है। फाटक खुलते ही वाहनों के आमने-सामने आ जाने पर कई बार जाम लग जाता है। टहला मार्ग पर पुलिस थाना, राजकीय महाविद्यालय, बालिका महाविद्यालय, बीएड कॉलेज सहित अनेक विद्यालय मौजूद है, जिसके चलते लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार फाटक के बंद होने के कारण डिलीवरी तथा गम्भीर रूप से पीड़ित लोगों को राजगढ़ चिकित्सालय आने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस फाटक से नगर पालिका के वार्ड नम्बर एक व दो तथा टहला, थानाराजाजी, श्रीचन्दपुरा, कुण्डला, धमरेड, नया गांव बोलका, तालाब, मल्लाना, गोला का बास, खोहदरीबा, टोडा जयसिंहपुरा, श्यालुता, राजोरगढ़, नारायणी धाम, नीलकण्ठ, तिलवाड़, बलदेवगढ़, धीरोड़ा सहित सैकड़ों गांवों के ग्रामीणों एवं वाहनों का आवागमन होता है।
एक सप्ताह में करीब दो लाख छप्पन हजार से अधिक वाहन गुजरते है

राजगढ़-टहला रेलवे फाटक से हर सप्ताह ट्रक, ट्रोले, ट्रैक्टर, जीप, कार, ई-रिक्शा, बस एवं दुपहिया वाहन गुजरते हैं। रेलवे फाटक के बार-बार बंद होने के कारण वाहन चालकों को आधा-आधा घण्टे इंतजार करना पड़ता है। जानकारी के अनुसार एक सप्ताह में 2 लाख 56 हजार 823 वाहन उक्त रेलवे फाटक पर होकर गुजरते हैं।
रेलवे फाटक करीब 62 बार होता है बंद

अलवर-बांदीकुई रेल मार्ग के मध्य राजगढ़ -टहला मार्ग पर फाटक संख्या एससी 140 से करीब 62 रेल गाडिय़ां गुजरती हैं, जिसके चलते चौबीस घंटे में करीब 62 बार राजगढ़ -टहला मार्ग रेल फाटक बंद होता है। कई बार लाइनों के रख-रखाव एवं फाटक की मरम्मत कार्य के चलते भी फाटक काफी देर तक बंद रहता है। फाटक के देर तक बंद रहने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर निकलते है। छात्र-छात्राएं फाटक के नीचे होकर निकलते हैं। जिसके कारण कभी भी हादसा हो सकता है। यहीं नहीं बड़ी संख्या में दुपहिया वाहन चालक फाटक के नीचे से अपने वाहन निकालकर गंतव्य स्थान को जाते है।
फिर पत्र लिखा गया है

अलवर-बांदीकुई रेल मार्ग के मध्य राजगढ़ -टहला मार्ग पर फाटक संख्या एससी 140 से करीब 62 रेल गाडिय़ां गुजरती हैं। एक सप्ताह में 2 लाख 56 हजार 823 वाहन उक्त रेलवे फाटक पर होकर गुजरते हैं। आरओबी के लिए फिर पत्र लिखा गया है।
शिवदयाल मीना स्टेशन अधीक्षक, रेलवे स्टेशन राजगढ़।

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