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अलवर

आदर्श सीएचसी तो बनाया, पर ब्लड बैँक व सिजेरियन प्रसव की नहीं सुविधाएं

क्षेत्र की आबादी साढ़े तीन लाख, प्रतिदिन का ओपीडी 1500 के पार। आवश्यकता होने पर रक्त के लिए 75 किमी दूर भरतपुर व अलवर पड़ता है जाना।

अलवरNov 08, 2024 / 03:56 pm

Ramkaran Katariya

कठूमर. उपखंड मुख्यालय पर सीएचसी को क्रमोन्नत कर आदर्श सीएचसी तो कर दिया, लेकिन यहां सुविधाओं के लिहाज से कुछ नहीं बदला। आलम यह है कि यहां ब्लड बैंक तक नहीं है। इससे हर साल कई मरीजों की जान चली जाती है। इन दोनों अस्पताल में करीब पन्द्रह सौ मरीजों की प्रतिदिन की ओपीडी रहती है। कई प्रसूताओं के प्रसव भी यहां होते हैं। इसके अलावा हर माह दुर्घटना के घायल भी आते हैं। जिनको ब्लड की आवश्यकता होती है, लेकिन ब्लड यहां उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को रेफर किया जाता है। जिससे अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते मरीज दम तोड देता है।
किसी मरीज को ब्लड की आवश्यकता हो तो जिला अस्पताल से मंगाया जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार दो दिन तक लग जाते है। तब तक मरीज के साथ किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। कठूमर सीएचसी पर ब्लड स्नटोरेज नहीं है, जबकि कठूमर सीएचसी एक माह में सबसे ज्यादा प्रसव करने के मामले में जिले के शीर्ष अस्पतालों में शामिल है। ऐसे में सिजेरियन प्रसव को रेफर करना पड़ता है। क्षेत्र में दुर्घटना के शिकार ज्यादातर लोगों के अत्यधिक रक्तस्राव के चलते रेफर कर दिया जाता है। इन दिनों डेंगू, मलेरिया का खतरा है। मरीज की प्लेटलेट्स कम होने पर ब्लड व आरबीडी की विशेष आवश्यकता रहती है, लेकिन ब्लड की कमी के चलते 75 किमी दूर भरतपुर या अलवर जाना पड़ता है।
फैक्ट फाइल

– करीब साढ़े तीन लाख की आबादी

– हर माह करीब डेढ सौ यूनिट ब्लड की आवश्यकता

– जयपुर, भरतपुर, अलवर 75 से सौ किमी दूर।

– प्राइवेट ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड लेने में साढ़े बारह सौ रुपए खर्च, बदले में ब्लड भी डोनेट करना पड़ता है।
यह बोले जनप्रतिनिधि व अन्य

गंभीरता से प्रयास किए जाएंगे

विधायक, रमेश खींची का कहना है कि अलवर जिला मुख्यालय पर ब्लड बैंक है, लेकिन स्थानीय आवश्यकताओं को देखते हुए चिकित्सा अधिकारियों से चर्चा कर सरकार से समस्या समाधान के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाएंगे।
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सिजेरियन प्रसव नहीं होते

हितेश पंसारी का कहना है कि उपखंड क्षेत्र में ब्लड बैंक की विशेष आवश्यकता है। हर साल सैंकड़ों मरीज ब्लड के लिए बाहर रेफर किए जाते हैं। इनमें से कई की तो जान चली जाती है। प्रसूता महिलाओं की सिजेरियन प्रसव भी नहीं होते है।
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यहां ब्लड बैंक स्थापित हो

कोषाध्यक्ष युवा वैश्य समाज कठूमर छैल बिहारी अग्रवाल का कहना है कि उपखंड मुख्यालय कठूमर सहित ग्रामीण इलाकों में हर साल रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं, जिनमें सैंकड़ों यूनिट रक्त एकत्रित होता है, लेकिन यहां ब्लड बैंक नहीं होने से ये ब्लड जयपुर, अलवर या भरतपुर के ब्लैड बैंकों को देना पड़ता है। यदि यहां ब्लड बैंक स्थापित हो जाए तो यहां भी जरूरतमंदों की जान बच सकती है।
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प्रपोजल भिजवा देंगे

डिमांड के आधार पर अलवर स्थित जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड मंगा यही लगा दिया जाता है। क्षेत्र में दुघर्टना व अन्य रोगियों के लिए ब्लड जरूरी होने से कठूमर सीएचसी में एक ब्लड बैंक की आवश्यकता हो गई है। इसके लिए उच्च अधिकारियों से चर्चा कर प्रपोजल भिजवा देंगे।
डाॅ.रविराज सिंह बीसीएमएचओ, कठूमर

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प्रपोजल को आगे जयपुर भेज देंगे

ब्लड बैंक के लिए पर्याप्त जमीन, पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी लिस्ट तथा लैब टेक्नीशियन की आवश्यकता होती है। ये सुविधाएं अगर हो तो हम ऐसे प्रपोजल को आगे जयपुर भेज देंगे। ब्लड स्टोरेज से प्रसूताओं व दुर्घटनाग्रस्त लोगों को फायदा मिल सकता है। इन्हें आवश्यकतानुसार ब्लड लगाकर रेफर किया जा सकता है।
डाॅ. योगेन्द्र शर्मा सीएमएचओ, अलवर।

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