दादर निवासी युवक सतपाल सिंह पुत्र प्रीतम सिंह ने पुलिस कर्मियों पर मारपीट व बेअदबी का आरोप लगाया था। बाद में उसके परिजनों ने शिवसेना के साथ पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर आरोपित पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की थी।
अस्पताल में भर्ती सतपाल ने बताया कि वह रविवार को अपने माता-पिता व मामा के साथ अस्तपाल में भर्ती मौसी संतोबाई को खाना देने गया। रात करीब 11 बजे वे स्कार्पियों से घर लौट रहे थे।
कटीघाटी के पास नाकाबंदी कर रही पुलिस ने उसकी गाड़ी रोकी और कागज मांगे।
कागजात दिखाने पर मौके पर तैनात प्रशिक्षु एसआई दिनेश मीणा व अन्य पुलिसकर्मियों ने सीट बेल्ट नहीं लगी होने का हवाला देकर 500 रुपए मांगे। उसके चालान बनाने की कहने पर पुलिसकर्मी भड़क गए और उसे केश पकड़ गाड़ी से खींच मारपीट की।
जब उसकी मां बचाने आई तो उन्होंने उनसे भी बदसलूकी की। युवक सतपाल का आरोप है कि इसके बाद पुलिसकर्मी उसे गाड़ी में बैठाकर थाने ले आए और मारपीट कर शांतिभंग में गिरफ्तार कर लिया। उधर, आरोपित प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर ने युवक के कागजात जांचने की बात तो स्वीकार की है, लेकिन मारपीट के आरोप को बेबुनियाद बताया।
अस्पताल में भर्ती युवक को सोमवार को जमानत पर रिहा होने के बाद परिजनों ने उपचार के लिए अलवर के सामान्य चिकित्सालय में भर्ती कराया। युवक की पीठ, हाथ आदि में चोट के निशान हैं। वहीं, उसके सिर के एक ओर के कुछ बाल उखड़े हुए हैं। उधर, मामले में मंगलवार को शिवसेना का एक प्रतिनिधिमण्डल जिला पुलिस अधीक्षक से मिला और दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
राहुल प्रकाश जिला पुलिस अधीक्षक अलवर ने बताया कि मामला नाकाबंदी के दौरान का है। नाकाबंदी में वाहन चालक से कागजात मांगे जाते हैं। कागज नहीं मिलने पर चालान किया जाता है। जबकि युवक के चोट के निशान दिख रहे हैं। मामले में प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए एक प्रशिुक्ष एसआई दिनेश मीणा को सस्पेंड किया गया है।