इस तरह दी गई नियुक्ति
वर्ष 2013-14 में जिला परिषद की ओर से तीन आदेशों में सात मृतक आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर शिक्षक की नौकरी दी, जबकि राज्य सरकार के निर्देशानुसार मृत राज कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम अनुसार ग्रेड पे संख्या 10 में 2800 रुपए तक ही उल्लेखित पदों पर दिए जाने का प्रावधान था। राज्य सरकार ने 1 जुलाई 2013 से अनुकंपा पर शिक्षक पद पर नियुक्ति दिए जाने के प्रावधान को समाप्त कर दिया था, क्योंकि यह पद ग्रेड पे 3600 का था। इसी बीच मामला उठा तो परिषद ने सरकार से मार्गदर्शन मांग लिया। सरकार ने साफ शब्दों में कह दिया कि इन सभी शिक्षकों को एलडीसी बनाएं लेकिन परिषद ने वर्ष 2014 से लेकर 2016 तक कोई निर्णय नहीं लिया। इसके बाद तैनात किए गए शिक्षकों ने नियमित वेतनमान की मांग की तो वह जारी नहीं की गई। इसको लेकर शिक्षक हाईकोर्ट पहुंचे। करीब दस साल बाद कोर्ट ने इनके हक में फैसला लिया। इस प्रकरण को लेकर परिषद के अफसरों से संपर्क साधा गया लेकिन नहीं हो पाया।
इन प्रकरणों में भी अफसरों ने दी सफाई पिछले महीने गलत तरीके से शिक्षक पद पर पात्र अभ्यर्थी योगेन्द्री यादव के स्थान पर एक अपात्र को शिक्षक पद पर नियुक्ति देने, इसके अलावा तीन संतानों वाली महिला अभ्यर्थी सुमन कौर को संतानों की सही सूचना देने के बाद भी शिक्षक पद पर नियुक्ति दिए जाने और एक अपात्र अभ्यर्थी कमल सिंह को आवेदन के 2 साल बाद की डिग्री लगाने पर भी शिक्षक के पद पर नौकरी दिए जाने के मामले सामने आ चुके हैं। इसी प्रकार 6 महीने पहले हुई लिपिक भर्ती में भी कई अपात्रों को लिपिक पद पर भी नियुक्ति दिए जाने के प्रकरण आए। परिषद ने अपना बचाव करते हुए यह कह दिया कि अभिलेखों की जांच करने वाले दल की भूल रही है। यानी हर मामले में अफसर अपने को बचाते रहे।