जनाना अस्पताल में भर्ती महिलाओं की स्थिति को जानने के लिए पत्रिका टीम ने अस्पताल का जायजा लिया तो हर कदम पर नजारा चौंकाने वाला ही दिखाई दिया। हर वार्ड में भर्ती महिला मरीजों के इर्द-गिर्द पुरुषों का जमावड़ा नजर आया। चाहे गर्भवती महिलाओं का वार्ड हो या फिर प्रसूताओं का। हर वार्ड के अंदर बड़ी संख्या में पुरुष महिलाओं के बैड के आसपास नजर आए। ऐसे हालात में बैड पर बैठी महिलाएं या तो घुंघट में रहने की कोशिश करती है या फिर करवट बदलकर लेट जाती है।
दिनभर रहता है शोरगुल मानसिक चिकित्सकों की मानें तो गर्भवती व जननी महिलाओं को कुछ समय तक आराम करने की जरूरत होती है। महिलाएं शारीरिक व मानसिक रूप से अपने आपको थका हुआ महसूस करती है। एेसे में शांत व एकांत वातावरण की जरूरत होती है। लेकिन जनाना अस्पताल में डाक्टर के दौरे के दौरान ही यहां से लोगों को बाहर किया जाता है। उसके बाद दिनभर वार्ड में इतना शोर रहता है कि महिलाएं परेशान हो जाती हैं।
नदारद रहते हैं सुरक्षा गार्ड मुख्यद्वार पर सुरक्षा गार्ड लगाए गए हैं जो कि सुबह और शाम को डाक्टर के दौरे के दौरान ही यहां दिखाई देते हैं। दिनभर यहां कोई आए और कोई जाए उन्हें कोई लेना देना नहीं है। किसी वार्ड में यदि कोई महिला किसी पुरुष को रोकने का प्रयास भी करती है तो वहां सुनने वाला कोई नही।
अपनों की खातिरदारी दूसरों को परेशानी कहने को तो ये पुरुष अपनी महिला मरीजों की देखभाल व हालचाल के यहां आते हैं। एक ही परिवार के अधिक पुरुष आने से यहां मेला सा जुड़ जाता है। लेकिन वार्ड के अंदर बेरोक टोक आने जाने से वहां भर्ती अन्य महिलाएं काफी परेशान हो जाती है। वो ना तो छोटे शिशु को दूध पिला पाती है और ना ही स्वयं आराम कर पाती है।