सरिस्का बाघ परियोजना ने बीते 10 सालों में 5 टाइगर खोए भी हैं। इनमें एसटी-1 बाघ की मौत पॉइजनिंग से हुई। वहीं एसटी-4 बाघ की मौत बाघ-एसटी-6 से संघर्ष में घायल होने के बाद उपचार के दौरान एनक्लोजर में हुई। बाघिन एसटी-5 की मौत शिकारियों के शिकार से हुई। इसके अलावा बाघ एसटी-11 की मौत खेत में किसान की ओर से फंदा लगाने से हुई। वहीं रणथंभौर से आए बाघ की मौत ट्रंक्यूलाइज के बाद गर्मी से हुई।
सरिस्का में उम्रदराज बाघों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि उम्रदराज बाघिन एसटी-2 सरिस्का बाघ परियोजना के लिए सबसे लकी साबित हुई है। यह बाघिन अब तक सरिस्का में 7 बाघों का कुनबा बढ़ा चुकी है, जिसमें दो बार दो-दो शावकों को स्वयं ने जन्म दिया, वहीं एक बार इसकी बेटी एसटी-14 ने तीन शावकों को जन्म दिया। बाघिन एसटी-2 के 7 टाइगरों की बदौलत वर्तमान में सरिस्का में बाघों का कुनबा बढकऱ 23 तक पहुंच चुका है। हालांकि बाघिन एसटी-12 भी बाघों का कुनबा बढ़ाने में 6 टाइगरों का योगदान दे चुकी है। इन दिनों उम्रदराज बाघ एसटी- 6 बीमार होने के कारण एनक्लोजर में हैं।
बाघ-21 व बाघिन एसटी-9 लुभा रही पर्यटकों को
करीब 17 साल की है बाघिन एसटी-2
सरिस्का की सबसे उम्र दराज बाघिन एसटी-2 की उम्र करीब 17 साल है। इस बाघिन से सरिस्का को अब तक 7 टाइगर मिल चुके हैं।
सुदर्शन शर्मा, डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना