सांसद समेत तीन विधायक नहीं रहे मौजूद रायशुमारी के दौरान अलवर सांसद डॉ. करणसिंह यादव, एआईसीसी के सचिव जुबेर खां, श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली, विधायक बाबूलाल बैरवा व सफिया खान, एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष राकेश चौधरी बैठक में मौजूद नहीं थे। केवल दो विधायक शकुंतला रावत व जौहरीलाल मीणा, महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष कमलेश सैनी, युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष संजय यादव, सेवादल के जिलाध्यक्ष डीसी मीणा, प्रधान शीला मीणा, पूर्व मंत्री नसरू खां, पीसीसी सचिव अजीत यादव, प्रेम पटेल, ओमप्रकाश सैनी, श्वेता सैनी, नरेन्द्र शर्मा, नरेन्द्र मीणा, दुलीचंद मीणा, अशोकशर्मा, रामबहादुर तंवर, अनिल जैन, विजेन्द्र महलावत, बिजेन्द्र चौहान, करणसिंह चौधरी, रोहिताश्व चौधरी, गब्बर सैनी, सुनील पाटोदिया, महेन्द्र सैनी, महंत जयरामदास, दीपेन्द्र सैनी, राजू यादव, राजेन्द्र यादव, सर्वेश सैनी, महेश सैनी सहित अन्य प्रधान, पीसीसी पदाधिकारी एवं सदस्य, जिला उपाध्यक्ष, महामंत्री समेत अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद रहे। बैठक की अध्यक्षता कार्यकारी जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा व राजेन्द्र गण्डूरा ने की। इस दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह भी रायशुमारी के दौरान मौजूद नहीं थे।
अलवर के पैनल में देरी को लेकर जताई नाराजगी लोकसभा चुनाव के लिए अलवर लोकसभा क्षेत्र से पैनल तैयार में हुई देरी पर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे पहले ही नाराजगी जता चुके हैं। इसी क्रम में रविवार को आनन-फानन में अलवर में रायशुमारी के लिए बैठक का आयोजन कर पैनल तैयार किया गया।
अब दारोमदार जितेन्द्र सिंह पर अलवर लोकसभा चुनाव के लिए जिला कांग्रेस की ओर से सिंगल नाम का पैनल तैयार किया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस पैनल में केवल पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह का नाम शामिल है। जिला कांग्रेस की राय के बाद अब अलवर से लोकसभा चुनाव लडऩे या किसी अन्य को चुनाव लड़वाने का फैसला जितेन्द्र सिंह पर निर्भर है। वैसे जितेन्द्र सिंह पूर्व में अलवर से लोकसभा चुनाव लडऩे की बात कहते रहे हैं, लेकिन वर्तमान में वे उड़ीसा में कांग्रेस के प्रभारी हैं और वहां विधानसभा चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के साथ ही होने हैं, एेसे में दोहरी जिम्मेदारी के बारे में फैसला स्वयं जितेन्द्र सिंह पर निर्भर करेगा।
बैठक में अधिकारियों के फेरबदल की मांग उठी बैठक के दौरान कांग्रेस के पदाधिकारियों व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने पूर्व भाजपा सरकार के समय से बड़े पदों पर जमे बैठे अधिकारियों को बदलने की मांग की। पार्टी पदाधिकारियों का कहना था कि विधानसभा चुनाव के पहले से जमे अधिकारी उनके काम को तवज्जों नहीं देते।