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अलवर

सवा चार लाख आबादी को प्यास बुझाने की आस अब सरकार से

अलवर. सवा चार लाख शहरवासियों को अब गर्मी में पानी की प्यास बुझाने की आस अब केवल राज्य सरकार से है। स्थानीय स्तर पर पानी प्रबंधन फेल होने के बाद सिलीसेढ़ से पानी लाकर ही शहरवासियों की पेयजल जरूरत को पूरा करना संभव रह गया है।

अलवरApr 22, 2023 / 11:35 pm

Prem Pathak

सवा चार लाख आबादी को प्यास बुझाने की आस अब सरकार से

सवा चार लाख आबादी को प्यास बुझाने की आस अब सरकार से

अलवर. सवा चार लाख शहरवासियों को अब गर्मी में पानी की प्यास बुझाने की आस अब केवल राज्य सरकार से है। स्थानीय स्तर पर पानी प्रबंधन फेल होने के बाद सिलीसेढ़ से पानी लाकर ही शहरवासियों की पेयजल जरूरत को पूरा करना संभव रह गया है। इस योजना को जल्द मंजूरी नहीं मिली तो अबकी बार गर्मी के सीजन में पुलिस प्रशासन के समक्ष कानून व्यवस्था बनाए रखने का बड़ा सवाल खड़ा हो सकता है।अलवर शहर की आबादी वर्ष 2011 की तुलना में एक लाख से ज्यादा बढ़ गई, लेकिन पानी संग्रहण के स्रोत नहीं बढ़ सके। अलवर शहर की वर्तमान जनसंख्या 4 लाख 15 हजार 579 की प्रतिदिन पानी की मांग 56 हजार किलो लीटर है। जबकि जलदाय विभाग शहर में 26 हजार 400 किलो लीटर पानी का प्रतिदिन उत्पादन कर पा रहा है। यानी 29 हजार 600 किलो लीटर पानी की प्रतिदिन शहरवासियों को तंगी झेलनी पड़ रही है। वर्तमान में अलवर शहरवासियों को औसतन प्रति व्यक्ति प्रति दिन 64 लीटर पानी ही मिल पा रहा है।
इसलिए सिलीसेढ़ से पानी लाने की जरूरत

अलवर शहर में जलदाय विभाग वर्तमान में 26 हजार 400 किलोलीटर पानी का उत्पादन प्रतिदिन कर पा रहा है। जबकि इससे ज्यादा 29 हजार 600 किलो लीटर पानी की कमी अभी चल रही है। यानी जितना शहरवासियों को जितना पानी मिल रहा है, उससे ज्यादा की हर दिन जलदाय विभाग को जरूरत है। लेकिन उसके पास इतनी बड़ी मात्रा में पानी उत्पादन का कोई भी स्रोत नहीं है। नतीजतन राज्य सरकार ने जल्द ही अलवर शहरवासियों की पानी की समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो खुद सरकार के समक्ष ही विकट परििस्थति पैदा हो सकती है।
दस किमी की दूरी, योजना पर लागत भी ज्यादा नहीं

शहरवासियों की पेयजल समस्या का निराकरण अभी सिलीसेढ़ बांध से पानी लाकर ही किया जा सकता है। कारण है कि सिलीसेढ़ से अलवर की दूरी मात्र 10 किमी है और इस योजना की लागत भी करीब 38 करोड़ है। अलवर शहर के लिए सिंचाई विभाग की ओर से 100 एमसीएफटी पानी पहले ही आरक्षित किया जा चुका है। मुख्य अभियंता सहित अन्य उच्च अधिकारी स्तर पर इस योजना को मूर्तरूप देने की पहले ही सहमति बन चुकी है। योजना की पत्रावली भी सरकार स्तर पर विचाराधीन है, केवल राज्य सरकार इस योजना को मंजूर मिलना शेष है।

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