जिस फूलपुर लोकसभा सीट से 1952, 1957 और 1962 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जीतते आ रहे थे,उस फूलपुर सीट से 2004 में सपा की टिकट पर अतीक अहमद निर्वाचित हुआ। और इस तरह अतीक अहमद ने उस फूलपुर सीट को हथिया लिया जिसपर कभी पंडित नेहरू का दबदबा रहता था। और इसी के बाद 2005 में अतीक अहमद को राजू पाल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
आपको बता दें कि माफिया अतीक अहमद के खिलाफ 101 आपराधिक मामले थे जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास, मारपीट, अपहरण और भयदोहन के मामले थे। दरअसल, अतीक अहमद का खौफ ऐसा था कि उसने जेल से चुनाव लड़ते समय जमानत की अर्जी लगाई तो हाईकोर्ट के 10 वकीलों ने खुद को उस मामले से अलग कर लिया और तब 11वें जज ने उस मामले की सुनवाई करते हुए अतीक को जमानत दे दी। इस प्रकरण को देखने के बाद आप खुद समझ सकते हैं कि उस समय अतीक अहमद का खौफ किस ऊंचाई पर था। हालांकि वह राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के खिलाफ चुनाव हार गया।
जनवरी 2017 में जब अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव से पार्टी का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया तब से अतीक का समाजवादी पार्टी से रिश्ता कमजोर पड़ने लगा। क्योंकि अपराधी से नेता बने अतीक अहमद से दूर रहना चाहते थे अखिलेश यादव। साल 2016 में अतीक और उसके सहयोगियों ने एक अल्पसंख्यक संस्थान के कर्मचारियों को पीटा जिन्होंने दो छात्रों को नकल करने के कारण परीक्षा देने से रोक दिया था। यह घटना कैमरे में कैद हो गई थी। अतीक अहमद को गिरफ्तार न करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को जमकर फटकार लगाई। उसके बाद अतीक अहमद गिरफ्तार हुआ और अब तक जेल में ही बंद था।