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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य परिपूर्णानंद 1 जनवरी 2013 को शंकराचार्य शिविर से रहस्यमय तरीके से गायब हो गए थे। कैंप के बाहर सुरक्षा लगी थी इसके बावजूद संत का गायब होना पुलिस पर सवाल खड़ा कर गया। उन दिनों मेले में चतुष्पद के मुद्दे पर संतों और कुंभ मेला प्रशासन के बीच विवाद चल रहा था। शंकराचार्य के शिष्यों ने प्रशासन पर संत को अगवा करने का आरोप लगाया था ।परिपूर्णानंद के शिष्य ज्योतिर्मयानंद की तहरीर पर झूंसी थाने में थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। उस समय कुछ दिनों बाद गुमशुदगी अपहरण में बदल गई मामले ने उस वक्त मामले ने तूल पकड़ा तो कुंभ की पुलिस एसटीएफ और एसओजी की टीम में परिपूर्णानंद की तलाश में कई स्थानों पर छापेमारी की थी लेकिन उनका सुराग नहीं लग सका था।
आसपास के जिलों में छापेमारी करने के अलावा प्रशासन ने पोस्टर भी चिपकाए हुए थे।लेकिन संत तक कोई पता नहीं लगा परिपूर्णानंद का पता ना चलने पर उनके शिष्यों ने कोर्ट का सहारा लिया। कुछ दिनों पहले हाईकोर्ट के इस जवाब तलब करने पर तत्कालीन आईजी आलोक शर्मा ने जांच को स्थानांतरित करते हुए झूंसी पुलिस के अलावा एसटीएफ और एसओजी को लगाया जांच टीमों की प्रगति रिपोर्ट की जिम्मेदारी एसपी क्राइम एके पांडे को सौंपी गई बावजूद इसके पुलिस और एसटीएफ कुंभ से गायब संत का पता नहीं लगा सकी।वही एक बार फिर आगामी माघ मेले से पहले निरंजनी अखाड़े के सचिव आशीष गिरी की मौत के बाद संतो के बीच तरह -तरह की चर्चाएँ है। हालाकि सामने कोई बोलने को तैयार नही है दबी जुबान सभी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।