सिंधु नदी के पार सभी हिन्दू
बीएचयू में उपजे शिक्षक विवाद को लेकर पत्रिका ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना के पौत्र बीएचयू के चांसलर जस्टिस गिरधर मालवीय से पत्रिका ने बात की जिस पर उन्होंने अपनी राय रखते हुए इस आंदोलन को तत्काल समाप्त करने की बात कही। जस्टिस मालवीय ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय की दृष्टि में सभी भारतवर्षीय हिंदू है। इसका प्रमाण महामना ने बाकायदा निजाम हैदराबाद को दिया था। जस्टिस बताते हैं कि जब महामना निजाम हैदराबाद के यहां बीएचयू के स्थापना के लिए आर्थिक सहयोग मांगने गए तो उस समय हैदराबाद निजाम ने मना कर दिया था। लेकिन लंबी बात चीत के बाद महामना ने उन्हें अपने तर्कों से तैयार किया।बताया कि निजाम हैदराबाद से महामना ने कहा था कि सिंधु नदी को उस समय हिंदू नदी कहा जाता था। आपके (निज़ाम ) यहां सिंधु नदी के पास रहने वाले को हिंदू कहा गया। अब आप लोग सब यहीं रह रहे हैं तो सभी हिंदू हैं। जैसे इंडिक्स के बाद वालों को इंडियंस कहा गया।वैसे ही सिंधु नदी के पास रहने वालों को सभी लोगो को हिंदू कहा गया।
इस तरह का विवाद गलत
इस तर्क के बाद जब हैदराबाद निजाम बीएचयू बनवाने के लिए मदद करने को तैयार हुए तो उन्होंने पूछा कि हमारे लिए वहां पर क्या होगा ।तब महामना ने कहा था कि आपके लिए बीएचयू के अंदर हैदराबाद कानूनी बनाई जाएगी। जो अभी भी स्थापित है। महामना का दृष्टिकोण था, कि भारत में रहने वाले सभी के सभी हिंदू ही हैं। यह कहते हुए विरोध करना कि यहां मुस्लिम नहीं आ सकते सिर्फ हिंदू आ सकते हैं या गलत है। यह बात महामना के जो विचार हैं उनसे बिल्कुल विपरीत है। महामना में बिल्कुल संकीर्णता नहीं थी। महामना हिंदू ,मुस्लिम, सिख के बंटवारे को नहीं मानते थे।उनका मानना था कि बीएचयू में सभी को शिक्षा दी जाए और यहां पर सब को शिक्षित होने का अधिकार है।
हिंदू यूनिवर्सिटी में इस तरह का विवाद गलत है।
फिरोज खान विद्वान है उन्होंने कहा की महामना की दृष्टिकोण से यह पूरी तरह से गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए विद्यार्थियों को समझाना चाहिए।और शिक्षा जहां से मिले जिस विद्वान व्यक्ति से मिले उसे ग्रहण करनी चाहिए। विद्वानों का हमेशा बहुत महत्व है। जस्टिस मालवीय कहते हैं कि स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते, उन्होंने बताया कि बीएचयू के पैनल में फिरोज खान का साक्षात्कार लेने वाले जो दो एक्सपर्ट थे। उन दोनों ने इन्हें सबसे ज्यादा विद्वान पाया। वह संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं।उन्होंने कहा कि फिरोज खान संस्कृत में वार्ता करते हैं। संस्कृत के प्रकांड विद्वान है। ऐसे व्यक्ति से संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करना कोई गलत नहीं है। ये गर्व की बात होनी चाहिए।फिरोज खान से शिक्षित होने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए।
महामना ने आइंस्टीन को बुलाया था
जस्टिस मालवीय ने बताया कि बीएचयू में पढ़ाने के लिए आइंस्टीन आने को तैयार थे।महामना ने उन्हें बुलाया था। उन्होंने कहा कि अगर उस समय मैक्समूलर को भी महामना वेद पढ़ाने के लिए बुलाते तो मैक्समूलर भी आकर यहां आकर पढ़ाते। भले ही मैक्समूलर क्रिश्चयन थे । धर्म से कोई कोई फर्क उस समय भी नहीं पड़ता।जस्टिस मालवीय ने कहा मैंने अपने जीवन के दस वर्ष महामना के साथ बिताए हैं। यह विरोध महामना की विचारधारा से बिल्कुल गलत है। उनकी विचारधारा से विपरीत विरोध है उन्होंने कहा कि विद्यार्थी गलत कर रहे हैं ।उन्हें शिक्षक का सम्मान करना चाहिए और शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। और यह आंदोलन तत्काल समाप्त हो जाना चाहिए।