अतीक का राजनीती सफर
यूपी की राजनीति में अपनी हनक रखने वाले बाहुबली अतीक अहमद 1989 में पहली बार इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से विधायक बने । तो वही अतीक 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फिर विधायक चुने गए । 1996 में अतीक को समाजवादी पार्टी का साथ मिला, और वह चौथी बार विधायक चुनकर सदन में पहुंचे तो वहीं 1999 में अतीक अहमद ने अपना दल का दामन थामा और अपना दल के प्रदेश अध्यक्ष बने । और अपना दल के टिकट से प्रतापगढ़ से चुनाव लड़े लेकिन हार गए ,और फिर 2002 में इसी पार्टी से शहर पश्चिमी में विधायक बने ।2003 में जब यूपी में सपा की सरकार आयी तो अतीक अहमद को एक बार फिर सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव का साथ मिला । और 2004 में देश की सबसे वीआइपी सीट मानी जाने वाली फूलपुर लोकसभा से समाजवादी पार्टी के सांसद बने ।तो वहीं उत्तर प्रदेश में 2007 के चुनाव के बाद सत्ता बदली और मायावती का शासन आते ही अतीक अहमद के खिलाफ तमाम आपराधिक मामले खुल गए । और अतीक अहमद लंबे समय तक फरार होने के बाद इनामी घोषित हुए और गिरफ्तार हुए।
राजूपाल हत्याकांड से शुरू हुई मुश्किल
2004 में हुए आम चुनाव के बाद खाली हुई अतीक अहमद की परंपरागत शहर पश्चिमी की सीट पर उनके छोटे भाई को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन उनके खिलाफ कभी उन्हीं का बेहद करीबी रहा राजू पाल बसपा से मैदान में उतरा और अशरफ को चुनाव हरा दिया । पहली बार बसपा के टिकट पर सदन में पहुंचे राजुपाल को कुछ ही महीने बाद 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े गोलीयों से भून हत्या कर दी गई । इस हत्याकांड मामले में सीधे तौर पर अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ सहित तमाम लोग आरोपी बनाए। इसके बाद से अब तक कोई भी चुनाव अतीक अहमद नही जीत पाए । फूलपुर से सांसद होने के बाद अतीक श्रावस्ती ,और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़े लेकिन कामयाब नही हो सके ।
सपा की पारिवारिक जंग में उछला अतीक का नाम
बीते विधानसभा चुनाव में बाहुबली अतीक अहमद उस समय चर्चा में आये जब समाजवादी पार्टी की पारिवारिक लड़ाई अतीक अहमद का नाम उछला । शिवपाल यादव ने अतीक अहमद को कानपुर सदर से समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया। तो वहीं अखिलेश यादव ने अतीक अहमद का टिकट काट दिया । लगातार बढ़ रहे विवादों के बीज अतीक अहमद मीडिया के सामने आए । और उन्होंने कहा कि परिवार को एकजुट रखने के लिए वह खुद चुनाव नही लड़ेंगे । और अखिलेश यादव का नेतृत्व स्वीकार करेंगे । लेकिन इन सबके बीच अखिलेश यादव ने अतीक अहमद का टिकट काट के बिना किसी घोषणा के उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया । इन दिनों अतीक अहमद लगातार अपराधिक मामले दर्ज हो रहे हैं । और अतीक देवरिया जेल में बंद है। उनकी इ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हो सकती है प्रत्याशी ।