वेटलैंड निर्माण आनासागर झील क्षेत्र में वेटलैंड निर्माण योजना की केन्द्रीय भूमि आवाप्ति अधिनियम गजट प्रकाश अनुसार 15 दिसम्बर 2009 को जारी की गई। योजना क्षेत्र में कुल अवाप्त भूमि 2015-14 बीघा है। जिसमें से प्राधिकरण को हस्तांतरित सिवाचयक भूमि 53-19-10 बीघा एवं खातेदारी भूमि 161-14-10 बीघा है।
33.4 करोड़ का मुआवजा अवाप्त भूमि का अवार्ड राज्य सरकार द्वारा 4 अक्टूबर 2013 को अनुमोदित किए जाने पर प्राधिकरण के भूमि अवाप्त अधिकारी द्वारा 8 अक्टूबर 2013 को 33 करोड़ 4 लाख 40 हजार 658 रुपए का जारी किया गया। आवाप्तधीन क्षेत्र में प्रभावित खातेदारों/ हितबद्ध व्यक्तियों की संख्या करीब 350 है। जिसमें 50 पक्के निर्माण है। प्राधिकरण ने खातेदारों को नोटिस जारी कर रखे हैं।
यहा विकसित होना है वेटलैंड झील के किनारे वेट लैंड के दायरे में रीजनल कॉलेज से शिव मंदिर चौपाटी तक, सागर विहार के पीछे, गुल मोहर कॉलोनी,करणी विहार, बधिर विद्यालय के पीछे तक वेट लैंड प्रस्तावित है।
आनासागर झील संरक्षण योजना उच्चन्यायालय द्वारा जनहित याचिका संख्या 5464/07 कॉमन कॉज सोसायटी बनाम राजस्थान राज्य में दिए निर्देशों की पालना में आनासागर झील संरक्षण योजना को केन्द्रीय भूमि अवाप्ति अधिनियम गजट प्रकाश दिनांक 9 मार्च 2010 को जारी की गई। इस योजना क्षेत्र में कुल अवाप्त भूमि 171-03-10 बीघा है,जिसमें प्राधिकरण को हस्तांतरित भूमि 26-16-05 बीघा एवं खातेदारी भूमि 144-07-05 बीघा है। 75.82 करोड़ अवार्ड
अवाप्त भूमि का अवार्ड राज्य सरकार द्वारा 8 अक्टूबर 2014 को अनुमोदित किए जाने पर भूमि अधिकारी अजमेर विकास प्राधिकरण ने 10 अक्टूबर 2014 को 75 करोड़ 42 लाख 90 हजार 845 रुपए का जारी किया। अवाप्ताधीन क्षेत्र में प्रभावित खातेदारों/ हितबद्ध व्यक्तियों की संख्या 552 है। जिसमें लगभगत 155 पक्के निर्माण है। प्राधिकरण इन्हें नोटिस जारी कर चुका है। भूमि आवाप्ति के लिए 75 करोड़ रुपए की आवश्यकता है,लेकिन प्राधिकरण का खजाना खाली है।
झील संरक्षण में बाधक यह कॉलोनियांनेशनल झील संरक्षण मिशन (एनएलयूआरएम) के तहत झील के कारण सागर विहार,पुरानी विश्रामस्थली,पुरानी चौपाटी, फाइसागर रोड की तरफ,चामुडा कॉलोनी की भ्ूामि को आवाप्त किया जाना है। 18 मुकदमें विचाराधीन
आनासागर झील के किनारे वेट लैंड विकसित करने तथा झील संरक्षण मिशन के तहत भ्ूामि आवाप्ति करने में भूमि आवाप्त की बाधा आ रही है। इसको लेकर अब तक उच्च न्यायालय में18 मुकदमें दायर हो चुके हैं। इनमें वर्ष 2014 से यथा स्थिति(स्टे) के आदेश है। हालांकि एडीए तो इसकी पालना कर रहा है लेकिन खातेदार इसका उल्लंघन करते नजर आते हैं। प्राधिकरण मुकदमों से स्टे हटावाने के लिए न्यायालय में प्रभावी पैरवी में नाकाम रहा।